दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद को कड़कड़डुमा कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत! बहन की शादी के बाद इस तारीख को करना होगा सरेंडर...
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कड़कड़डूमा कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी।;
नई दिल्ली। दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद को अंतरिम जमानत दी गई है। दरअसल आरोपी को बहन की शादी में शामिल होना है। जानकारी के मुताबिक, 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दी गई है। बता दें कि कड़कड़डुमा कोर्ट ने कहा है कि उमर को 29 दिसंबर की शाम को सरेंडर करना पड़ेगा। अदालत ने कई सारी शर्तों के साथी रिहाई दी है। अदालत ने कहा कि उमर खालिद सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेगा। किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेगा। आरोपी को केवल अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों से ही मिलने की इजाजत है।
उमर खालिद ने अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी
दरअसल जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कड़कड़डूमा कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। खालिद ने अपनी बहन के निकाह में शामिल होने के लिए 14 से 29 दिसंबर तक की अंतरिम जमानत की मांग की थी। याचिका के अनुसार, 27 दिसंबर को उसकी बहन का निकाह है और परिवार के खास समारोह में उपस्थिति जरूरी है।
यह था मामला
बता दे कि सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। उस पर दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगा था। इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। वहीं, खालिद के साथ शरजील इमाम और कई अन्य लोगों पर भी इसी मामले में आरोप लगा है। दिल्ली दंगों में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि लगभग 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।
राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला के लिए सुनियोजित साजिश की गई थी
दरअसल हिंसा की शुरुआत सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई थी, जहां कई जगहों पर हालात बेकाबू हो गए थे। पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि 2020 की हिंसा कोई अचानक हुई सांप्रदायिक झड़प नहीं थी, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला करने के लिए सुविचारित, सुनियोजित और योजनाबद्ध साजिश की गई थी।
गौरतलब है कि तुषार मेहता ने कहा था, हमारे सामने यह कहानी रखी गई कि एक विरोध प्रदर्शन हुआ और उससे दंगे भड़क गए। मैं इस मिथक को तोड़ना चाहता हूं। एसजी मेहता ने दावा किया था कि जुटाए गए सबूत से पता चलता है कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश की गई थी।