Dhanteras 2025: क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार? समुद्र मंथन और भगवान धनवंतरि से जुड़ा है इसका रहस्य, जानें कथा
नई दिल्ली। हर साल दिवाली से पहले धनतेरस का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 18 अक्टूबर 2025, शनिवार के दिन है। हिंदू पंचांग में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस का संबंध समुद्र मंथन से भी है। समुद्र मंथन और धनतेरस का गहरा संबंध है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवता और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया था, तो भगवान धन्वंतरि उसी दिन अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। यही कारण है कि धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।
श्रीविष्णु की सलाह पर समुद्र मंथन
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया था, तो इस श्राप के कारण सभी देवताओं की शक्तियां और चमक क्षीण हो चुकी थी। जिसके बाद राक्षसों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। पूरे ब्रह्मांड में अंधकार फैल चुका था। दैत्यों के बढ़ते अत्याचारों को देखते हुए सभी देवताओं ने श्रीविष्णु से सहायता की गुहार लगाई। भगवान विष्णु ने देवताओं को अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए ब्रह्मांडीय सागर का मंथन करने की सलाह दी।
श्रीविष्णु की सलाह पर देवताओं और दैत्यों के बीच अमृतपान करने की होड़ मच गई। मंदार पर्वत मंथन की छड़ी बन गया और वासुकी नाग रस्सी, जिसके मदद से देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन से जो सबसे पहली चीज बाहर आई वो थी घातक विष हलाहल, जिसे भगवान शिव ने ग्रहण कर संपूर्ण सृष्टि को खत्म होने से बचाया था।
समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे भगवान धनवंतरि
भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य- समुद्र मंथन के दौरान जब चौदह रत्न निकले, तो उनमें से एक भगवान धन्वंतरि थे। वह अपने हाथों में अमृत से भरा सोने का कलश लेकर प्रकट हुए थे।
धन्वंतरि और आयुर्वेद- भगवान धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक माना जाता है और उन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। इसलिए, धनतेरस को 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है।
स्वास्थ्य और समृद्धि- धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अच्छी सेहत और खुशहाली के लिए की जाती है। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से व्यक्ति निरोगी रहता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
देवी लक्ष्मी का प्रकट होना- कुछ मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं। हालांकि देवी लक्ष्मी की पूजा धनतेरस के दिन भी होती है, पर दिवाली पर उनकी विशेष पूजा की जाती है।
धनतेरस पर किसकी पूजा होती है?
धनतेरस के दिन मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता और आरोग्य प्रदान करने वाला देवता माना जाता है, देवी लक्ष्मी को धन की देवी और भगवान कुबेर को धन-संपत्ति का अधिपति माना गया है।