ओबुलापुरम अवैध खनन मामले में गाली जनार्दन रेड्डी समेत चार को 7 साल की सजा
दोषियों में कर्नाटक के पूर्व मंत्री और OMC के निदेशक गाली जनार्दन रेड्डी, उनके बहनोई और कंपनी के प्रबंध निदेशक बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी, खनिज और भूविज्ञान विभाग के पूर्व निदेशक वी.डी. राजगोपाल, गाली के निजी सहायक मेहफूज अली खान और खुद कंपनी OMC शामिल हैं।;
हैदराबाद की एक सीबीआई विशेष अदालत ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में लौह अयस्क के अवैध खनन से जुड़े बहुचर्चित ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (OMC) मामले में पांच लोगों को दोषी ठहराया। दोषियों में कर्नाटक के पूर्व मंत्री और OMC के निदेशक गाली जनार्दन रेड्डी, उनके बहनोई और कंपनी के प्रबंध निदेशक बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी, खनिज और भूविज्ञान विभाग के पूर्व निदेशक वी.डी. राजगोपाल, गाली के निजी सहायक मेहफूज अली खान और खुद कंपनी OMC शामिल हैं।
अदालत ने गाली जनार्दन रेड्डी और बी.वी. श्रीनिवास रेड्डी को अवैध खनन में शामिल होने के कारण सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इस अवैध गतिविधि के चलते सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।
वहीं, अदालत ने पूर्व मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी. कृपानंदम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इसके अलावा, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 2022 में आईएएस अधिकारी श्रीलक्ष्मी को इस मामले से मुक्त कर दिया था।
करीब 13 वर्षों तक चले इस मुकदमे में सीबीआई ने 3,400 दस्तावेज और 219 गवाहों की जांच की। जांच एजेंसी का आरोप था कि रेड्डी के नेतृत्व में OMC ने पट्टा क्षेत्र से बाहर जाकर, यहां तक कि कर्नाटक के वन क्षेत्रों में भी अवैध रूप से लौह अयस्क का खनन किया, जिससे राज्य को करीब 884.13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
यह मामला वर्ष 2009 का है और इसमें आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 409 (विश्वास का हनन), 468 व 471 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(डी) के तहत आरोप तय किए गए थे।