गांधीनगर के बुजुर्ग से 19 करोड़ की ठगी, 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर साइबर अपराधियों का जाल
गांधीनगर के सीआईडी (क्राइम) के पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र शर्मा के अनुसार, पीड़ित की उम्र सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह ठगी मार्च महीने में शुरू हुई और करीब तीन महीने तक चली। इस दौरान उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने और "डिजिटल अरेस्ट" की धमकी दी जाती रही।;
गांधीनगर के एक वरिष्ठ नागरिक से साइबर अपराधियों ने 'डिजिटल अरेस्ट' की धमकी देकर लगभग तीन महीने में ₹19.24 करोड़ ठग लिए। यह रकम 30 से अधिक बैंक खातों में जमा कराई गई थी। इस मामले में पुलिस ने सूरत के एक 30 वर्षीय व्यापारी को गिरफ्तार किया है, जिसके खाते में ₹1 करोड़ ट्रांसफर किए गए थे।
गांधीनगर के सीआईडी (क्राइम) के पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र शर्मा के अनुसार, पीड़ित की उम्र सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह ठगी मार्च महीने में शुरू हुई और करीब तीन महीने तक चली। इस दौरान उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने और "डिजिटल अरेस्ट" की धमकी दी जाती रही।
शर्मा ने बताया कि साइबर अपराधियों ने पीड़ित को फोन कर कहा कि उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल आपत्तिजनक गतिविधियों में हो रहा है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तारी से बचाने के नाम पर किश्तों में ₹19.24 करोड़ वसूल लिए गए।
पुलिस ने बताया कि यह रकम 30 से अधिक बैंक खातों में भेजी गई और अब उन खातों के मालिकों की पहचान की जा रही है। साथ ही, जिन लोगों ने फोन कर धमकियां दीं, उन्हें भी ट्रैक किया जा रहा है।
शर्मा के अनुसार, आरोपियों ने एक खास तरीके से ठगी की योजना बनाई थी — पहले झूठे आरोप, फिर गिरफ्तारी की धमकी और अंत में परिवार को नुकसान पहुंचाने का डर दिखाकर पैसे ऐंठे गए।
सीआईडी की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि सूरत निवासी लालजी बलदनिया नामक युवक को गिरफ्तार किया गया है। वह एक निजी व्यवसाय में सक्रिय है और उसके खाते में ₹1 करोड़ की ठगी की रकम ट्रांसफर हुई थी।
पूछताछ में उसने बताया कि वह नोएडा (उत्तर प्रदेश) में साइबर ठगों से मिला था और उन्हें अपने बैंक खाते — मुरलीधर मैन्युफैक्चरिंग के नाम पर — पैसे ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी।
"डिजिटल अरेस्ट" स्कैम में ठग खुद को कस्टम्स, इनकम टैक्स या केंद्रीय जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर डर का माहौल बनाते हैं और पीड़ितों से भारी रकम वसूलते हैं।