तुम मुझे खून दो... आज ही के दिन नेताजी सुभाष ने अंडमान में फहराया था तिरंगा, अंग्रेजों से छीन इस द्वीप पर आजाद हिंद सरकार ने किया था कब्जा

Update: 2025-12-30 05:37 GMT

नई दिल्ली। आज ही के दिन 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना ग्राउंड (अब नेताजी स्टेडियम) में पहली बार भारतीय धरती पर तिरंगा फहराकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ब्रिटिश शासन से मुक्त घोषित किया था। दूसरे विश्व युद्ध में जापान ने ये द्वीप ब्रिटेन से जीतकर उसपर कब्जा कर लिया। फिर इसे सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार को दे दिया।

नामकरण

30 दिसंबर, 1943 को पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान द्वीप का नाम 'शहीद द्वीप' और निकोबार द्वीप का नाम 'स्वराज द्वीप' रखने की घोषणा की थी सुभाष ने जो तिरंगा फहराया था, वो कांग्रेस द्वारा अपनाया गया तिरंगा ही था, जिसके बीच की सफेद पट्टी पर चरखा बना था। इसके बाद आजाद हिंद सरकार ने जनरल लोकनाथन को यहां अपना गवर्नर बनाया। 1947 में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद ये भारत का केंद्र शासित प्रदेश है।

आजाद हिंद सरकार

यह भारत की पहली अस्थायी सरकार (आजाद हिंद फौज) की बड़ी कूटनीतिक और सैन्य जीत थी। इस दौरान नेताजी ने कुख्यात सेलुलर जेल का भी दौरा किया था, जहाँ भारतीय क्रांतिकारियों को 'काला पानी' की सजा दी जाती थी। आज के दिन इस गौरवशाली उपलब्धि को याद करने के लिए आप अंडमान पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट पर इस ऐतिहासिक स्थल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

फिर सुभाष ने क्या भाषण दिया था

अंडमान पर भारतीय तिरंगा फहराने के बाद सुभाष 03 दिन यहां रहे. 01 जनवरी को वो सिंगापुर पहुंचे। सिंगापुर में उन्होंने भाषण में कहा, आजाद हिंद फौज हिंदुस्तान में क्रांति की वो ज्वाला जगाएगी, जिसमें अंग्रेजी साम्राज्य जलकर राख हो जाएगा। अंतरिम आजाद हिंद सरकार, जिसके अधिकार में आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं और जिसे जर्मनी और जापान सहित विश्व के 09 महान देशों ने मान्यता दी है. उन्होंने हमारी सेना को भी पूरा समर्थन देने का वादा किया है।

सुभाष चंद्र के नाम पर यहां है एक द्वीप

बता दें कि यहां पर एक द्वीप रास है, जिसे सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। ये ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है। ये द्वीप 200 एकड़ में फैला है. यहां बहुत ढेर सारे पक्षी रहते हैं।

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