आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार का मास्टर प्लान, मंत्रालयों को मिली विशेष जिम्मेदारियां
केंद्र सरकार ने देशभर में होने वाली प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।;
केंद्र सरकार ने देशभर में होने वाली प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं। सरकार का उद्देश्य आपदा प्रबंधन को और अधिक संगठित और मजबूत बनाना है, ताकि आपदाओं के दौरान जनहानि और आर्थिक नुकसान को कम से कम किया जा सके।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में साफ किया गया है कि अब हिमस्खलन और तेल रिसाव जैसी आपदाओं की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय के पास होगी। वहीं, शीतलहर, चक्रवात, बवंडर, भूकंप, लू, आकाशीय बिजली, सुनामी, ओलावृष्टि और भारी वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी देने की जिम्मेदारी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को सौंपी गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की भूमिका
जैविक आपदाओं से संबंधित मामलों की निगरानी और कार्रवाई स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय करेगा। इसमें महामारी जैसी स्थितियों से निपटना भी शामिल है।
कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को पाला, शीतलहर, सूखा, ओलावृष्टि और कीट हमलों जैसी आपदाओं से निपटने की जिम्मेदारी दी गई है। इसका उद्देश्य किसानों और कृषि क्षेत्र पर आपदाओं के प्रभाव को कम करना है।
बाढ़ और शहरी आपदा प्रबंधन
जल शक्ति मंत्रालय को बाढ़ और हिमनदी झील फटने से आई बाढ़ की स्थिति में कार्यवाही करने का कार्य सौंपा गया है। इसके साथ ही शहरी बाढ़ से जुड़े मामलों की देखरेख आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय करेगा।
पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय जंगल में लगी आग, औद्योगिक और रासायनिक आपदाओं से निपटेगा। यह मंत्रालय पर्यावरण सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण में भी अहम भूमिका निभाएगा।
खान और परमाणु ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी
भूस्खलन की स्थिति में खान मंत्रालय जिम्मेदारी संभालेगा। वहीं, परमाणु और विकिरण आपात स्थितियों की देखरेख परमाणु ऊर्जा विभाग करेगा।
उद्देश्य और भविष्य की तैयारी
सरकार का मानना है कि आपदा प्रबंधन को मंत्रालयवार जिम्मेदारियां सौंपने से निगरानी, पूर्व चेतावनी, रोकथाम, क्षमता निर्माण और आपदाओं से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। यह कदम आपदा के समय तेजी से कार्रवाई करने और आम जनता को अधिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।