आवारा कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित! SG बोले- बच्चे मर रहे हैं, कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता
देश में एक साल में कुत्तों के काटने के 37 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।;
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बार फिर सुनवाई की। बीते दिनों न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की। जिसके तहत तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली सरकार को 8 हफ्तों में सड़कों से आवारा कुत्ते हटाने का निर्देश दिया था। बता दें कि स्ट्रीट डॉग पर सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता और वे इस मुद्दे का हल चाहते हैं विवाद नहीं।
8 हफ्तों में सड़कों से आवारा कुत्ते को हटाने का दिया था निर्देश
जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपवी सुनवाई में इससे पहले 8 हफ्तों में दिल्ली की सड़कों से आवारा कुत्ते हटाने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया था।
सुप्रीम कोर्ट को सुलझाना चाहिए मामला- जनरल तुषार मेहता
बता दें कि अब सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बच्चे मर रहे हैं। इस मुद्दे का समाधान किया जाना चाहिए, न कि इस पर विवाद होना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता और हम भी इसका हल चाहते हैं। देश में एक साल में कुत्तों के काटने के 37 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
कोर्ट के सामने दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कोई भी कुत्तों को मारने के लिए नहीं कह रहा है। हम बस उन्हें इंसानी आबादी से अलग रखने को कह रहे है। लोग बच्चों को बाहर भेजने से डर रहे हैं। नियमों से समाधान नहीं होगा, अदालत को हस्तक्षेप करना होगा।
तो फिर वे कहां जाएंगे - कपिल सिब्बल
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट के निर्देश में कहा गया है कि कुत्तों को नसबंदी के बाद छोड़ा नहीं जाएगा। तो फिर वे कहां जाएंगे? ये नियमों के खिलाफ है। इस पर रोक लगनी चाहिए। जब एक बड़ी संख्या में कुत्तों को एक साथ शेल्टर में रखा जाएगा तो वे एक दूसरे पर हमला करेंगे, भी प्रभावित होंगे।