चीन पर ऊंचे टैरिफ टिकाऊ नहीं, ऐसा करने को मजबूर किया गया: डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ लंबे समय तक टिकाऊ नहीं हैं, लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ट्रंप जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले हैं।;
अमेरिका और चीन के बीच चल रहा टैरिफ विवाद एक बार फिर चर्चा में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ लंबे समय तक टिकाऊ नहीं हैं, लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ट्रंप जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले हैं।
फॉक्स बिजनेस को दिए एक इंटरव्यू में जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए टैरिफ जारी रहेंगे, तो उन्होंने कहा, “यह स्थिति लंबे समय तक नहीं चल सकती।” उन्होंने आगे कहा, “संख्या वही है, लेकिन सच्चाई यह है कि मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया।”
ट्रंप ने बताया कि वह दो हफ्तों के भीतर शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे और उम्मीद है कि चीन के साथ बातचीत के बाद स्थिति बेहतर होगी। उन्होंने कहा, “चीन हमेशा फायदा उठाने की कोशिश करता है। देखते हैं आगे क्या होता है।”
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद ने बीते महीनों में व्यापारिक तनाव बढ़ा दिया था। अमेरिकी सरकार ने चीनी वस्तुओं पर आयात कर 145 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था, जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका गहराने लगी थी। हालांकि, बाद में इस निर्णय को छह महीनों के लिए रोक दिया गया था।
हाल ही में ट्रंप ने फिर से चेतावनी दी थी कि यदि बातचीत आगे नहीं बढ़ी, तो एक नवंबर से चीनी उत्पादों पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संभव है वह शी जिनपिंग के साथ तय बैठक को रद्द कर दें, जो साउथ कोरिया में एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन समिट के दौरान होनी थी।
इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “मेरे और शी जिनपिंग के बीच संबंध अच्छे हैं, लेकिन हमें चीन के साथ एक न्यायसंगत व्यापार समझौता चाहिए। यह डील दोनों देशों के लिए फेयर होनी चाहिए।”
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या यह ट्रेड वॉर अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहा है, तो उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास टैरिफ नहीं होते, तो हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाते। ये टैरिफ हमारे हितों की रक्षा के लिए जरूरी हैं।”
ट्रंप के इस बयान से संकेत मिलता है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन आने वाली बैठक दोनों देशों के बीच नए आर्थिक संतुलन का रास्ता खोल सकती है।