पाप और कष्टों से चाहिए मुक्ति, तो आज सोम प्रदोष के दिन भोलेनाथ से मांग लें वरदान! जानें पूजा की विधि
आज प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसे हर माह में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्त्व
प्रदोष व्रत मानने के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण बताए गए हैं-
1. भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए
यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष के समय भगवान शिव अपने भक्तों पर अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
2. पापों से मुक्ति के लिए
स्कंद पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है।
3. स्वास्थ्य, धन और शांति की प्राप्ति
जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें उत्तम स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
4. मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग
ऐसा कहा गया है कि प्रदोष व्रत से व्यक्ति शिवलोक की प्राप्ति करता है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाता है।
5. समय की विशेषता (प्रदोष काल)
प्रदोष का समय सूर्यास्त के बाद और रात में लगभग 1.5 घंटे तक रहता है। इस समय भगवान शिव तांडव मुद्रा में होते हैं, और उनकी उपासना का फल अनेक गुना बढ़ जाता है।
प्रदोष व्रत के प्रकार
सोम प्रदोष – सोमवार को होने पर (चंद्र से संबंधित, मानसिक शांति के लिए)
भौम प्रदोष – मंगलवार को (शक्ति और साहस के लिए)
शनि प्रदोष – शनिवार को (पापमोचन और जीवन की बाधाओं के नाश के लिए)
व्रत करने की विधि
प्रातः स्नान कर भगवान शिव का ध्यान करें। दिनभर उपवास रखें फलाहार या निर्जला, श्रद्धा के मुताबिक। सूर्यास्त के समय शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म आदि अर्पित करें। उसके बाद ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। प्रदोष की कथा पढ़कर शिव-पार्वती की आरती करें।