अगर करना हो रोगों का निवारण तो जाएं शीतला माता के दरबार! जानें एक चमत्कारी कुएं के रहस्य के बारे में
बिहार के पटना जिले गुलजारबाग क्षेत्र में स्थित अगमकुआं और शीतला माता का इतिहास क्या है। अगमकुआं एक प्राचीनकुआं है, जिसकी गहराई आज तक पूरी तरह नहीं मापी जा सकी। कहते हैं कि इसका तल अगम यानी अनंत है, इसलिए इसका नाम अगमकुआं पड़ा। माता शीतला हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी हैं, जिन्हें रोग निवारण की देवी भी कहते हैं।
ऐतिहासिक महत्व
1. अशोक के समय का स्मारक:
कहा जाता है कि अंधकारमय काल में, जब अशोक चण्ड अशोक कहलाते थे, तब उन्होंने अपने भाइयों को मारने के लिए इस कुएं का उपयोग कराया। बाद में कलिंग युद्ध के बाद जब वह धर्माशोक बने तो इस क्षेत्र को पवित्र माना गया।
2. मौर्यकालीन पुरातात्विक अवशेष:
अगमकुआं के चारों ओर पाए गए पत्थर, ईंटें और निर्माण-शैली मौर्यकाल से जुड़ते हैं।
3. संपूर्ण भारत में दुर्लभ संरचना:
कुएं का पानी बहुत गहरा, काला और स्थिर माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार इसका तल कभी नहीं मिला।
4. धार्मिक मान्यता:
इसे पवित्र माना जाता है। स्थानीय लोग इसे शुभ-स्थान मानकर पूजा करते हैं।
माता शीतला का इतिहास
माता शीतला हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी हैं, जिन्हें रोग निवारण की देवी, विशेषकर चेचक और संक्रामक रोगों से रक्षा करने वाली देवी माना गया है। मुख्य द्वार के पूरब में ही शीतला माता का मंदिर है। मंदिर के दरवाजे के पूरब एवं दक्षिण कोने पर शीतला माता की खड़ी मूर्ति है। शीतला माता के मूर्ति के दाहिने हाथ में त्रिशूल है। शीतला माता की मूर्ति के बांये अंगार माता की छोटी मूर्ति है। दरवाजे के भीतर पींडी रूप में सात शीतला, एक भैरव एवं एक गौरेया है जो गुंबज के ठीक नीचे स्थापित है।
1. देवी शक्तिपीठ परंपरा:
शीतला माता को देवी दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है।
उनकी पूजा शीतल अर्थात शीतलता – ठंडक देने वाली शक्ति के रूप में होती है।
2. स्कंद पुराण और देवी पुराण में वर्णन:
इन ग्रंथों में शीतला माता को चारभुजा धारी, झाड़ू, कलश (जल), नीम की पत्तियां धारण करने वाली देवी बताया गया है।
3. रोगों से मुक्ति का विश्वास:
प्राचीन काल में चेचक एक भयानक बीमारी थी जिसे लोग देवी का कोप मानते थे।
इसलिए देवी शीतला की पूजा रोग-निवारण एवं संरक्षण के लिए की जाती थी।
पूजा परंपरा
शीतला अष्टमी / बसोरा / शीला माता पूजा कई राज्यों में विशेष रूप से मनाई जाती है। इस दिन ठंडा भोजन (पकवान, पूड़ी, दही-चावल) चढ़ाया जाता है। यह इसलिए कि देवी को गर्म चीजें पसंद नहीं मानी जातीं। नीम को माता का प्रिय वृक्ष माना गया है, इसलिए नीम की पत्तियां पूजा में अनिवार्य हैं।
अगमकुआं और शीतला माता का संबंध
पटना के अगमकुआं परिसर में शीतला माता का प्रसिद्ध मंदिर है। स्थानीय मान्यता है कि अगमकुआं का पानी माता का पवित्र जल है और रोग-निवारण के लिए इसे शुभ माना जाता है।
यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पूजनीय है।