करणी माता मंदिर: जहां माता के अनुयायियों की आत्माओं के रूप में हजारों चूहे घूमते हैं, जानें चमत्कारी मां के रहस्य...

By :  Aryan
Update: 2025-08-03 02:30 GMT

करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक नामक स्थान पर स्थित एक प्रसिद्ध और अद्भुत मंदिर है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है। जो एक लोकदेवी मानी जाती हैं और चूहों की पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसे चूहों का मंदिर या चूहों वाली माता का मंदिर भी कहा जाता है।

राजपूत घराने के लोग करणी माता को विशेष रूप से मानते हैं

करणी माता के मंदिर में हजारों काले और कुछ सफेद चूहे रहते हैं। इसलिए इसे चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। राजपूत घराने के लोग करणी माता को विशेष रूप से मानते हैं।

मंदिर का इतिहास 15वीं सदी से जुड़ा है

करणी माता का जन्म 1387 ई. में हुआ था और वह चारण जाति से थीं। उनका जीवन लगभग 151 साल लंबा बताया जाता है।

करणी माता दुर्गा माता का अवतार मानी जाती हैं

उन्हें माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है। वो समाज सुधारक, तपस्विनी और चमत्कारी महिला थीं। कहा जाता है कि उन्होंने बीकानेर और जोधपुर रियासतों की नींव में सहयोग दिया था।

चूहों की अनोखी उपस्थिति और मान्यता

इस मंदिर में लगभग 25,000 चूहे रहते हैं जिन्हें काबा कहा जाता है। इन चूहों को पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु उन्हें भोग खिलाते हैं। कहा जाता है कि ये चूहे करणी माता के अनुयायियों की आत्माएं हैं।

अगर कोई चूहा गलती से मर जाए, तो श्रद्धालु को सोने या चांदी का चूहा बनवाकर मंदिर को दान देना होता है।

सफेद चूहे का दर्शन होना शुभ

मंदिर में कुछ सफेद चूहे भी हैं, जिन्हें अत्यंत शुभ माना जाता है। सफेद चूहे का दर्शन करना भाग्यशाली और विशेष कृपा का संकेत होता है।

मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने कराया था

मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं सदी की शुरुआत में करवाया था। मुख्य गर्भगृह में करणी माता की मूर्ति और उनका त्रिशूल स्थापित है। इसमें राजस्थानी संगमरमर, चांदी के दरवाजे, और नक्काशीदार खंभे हैं।

नवरात्रि में यहाँ भव्य मेला लगता है

चैत्र और अश्विन नवरात्रि में यहाँ भव्य मेला और उत्सव होता है। भक्त दूर-दूर से पैदल यात्रा करके दर्शन करने आते हैं। विशेष अवसरों पर भजन-कीर्तन, अखण्ड ज्योति, और प्रसाद वितरण होता है।

चूहों का जुठा खाना प्रसाद के रूप में बांटा जाता है

मंदिर में चूहे स्वतंत्र रूप से घूमते हैं, फिर भी भोजन को दूषित नहीं माना जाता। आज तक किसी ने मंदिर में चूहों के कारण बीमारी फैलने की घटना नहीं सुनी। ये मंदिर विदेशी पर्यटकों के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय है।


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