Janmashtami 2025: क्यों लगाए जाते हैं भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग, जानें कौन-से व्यंजन होते हैं शामिल?

Update: 2025-08-15 02:30 GMT

नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण को 'छप्पन भोग' लगाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। 56 भोग की थाली का संस्कृति महत्व तो है ही, लेकिन यह धार्मिक लिहाज से भी बेहद खास है। भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग की थाली तैयार की जाती है जिसमें मीठे, नमकीन और खट्टे से लेकर तीखे, कसैले और कड़वे व्यंजन भी शामिल होते हैं।

56 भोग लगाने के पीछे की कहानी

एक पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था। इस दौरान, उन्होंने सात दिनों तक कुछ नहीं खाया था। जब इंद्रदेव का क्रोध शांत हुआ और ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत के नीचे से बाहर निकले, तो उन्होंने देखा कि कृष्ण ने कुछ नहीं खाया है। तब सभी मां यशोदा से पूछने लगे कि आप अपने लल्ला को कैसे खाना खिलाती हैं, तो इसपर सभी को मालूम चला कि माता यशोदा अपने कान्हा को दिन में आठ बार खाना खिलाती हैं। ऐसे में, बृजवासी अपने-अपने घरों से सात दिनों के हिसाब से हर दिन के लिए 8 व्यंजन तैयार करके लेकर आए, जो कृष्ण को पसंद थे। इसी तरह छप्पन भोग की शुरुआत हुई और तभी से यह मान्यता अस्तित्व में आई कि 56 भोग के प्रसाद से भगवान कृष्ण अति प्रसन्न होते हैं।

56 भोग का महत्व

56 भोग भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है। यह माना जाता है कि 56 भोग लगाने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

अन्य मान्यताएं

कुछ लोगों का मानना है कि 56 भोग गौलोक में भगवान कृष्ण और राधा रानी के दिव्य कमल की 56 पंखुड़ियों का प्रतीक है।

56 भोग में कौन-से व्यंजन होते हैं शामिल?

छप्पन भोग में चढ़ाए जाने वाले व्यंजनों में पंजीरी, माखन-मिश्री, खीर, रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, जीरा-लड्डू, मालपुआ, मोहनभोग, मूंग दाल हलवा, घेवर, पेड़ा, काजू-बादाम बर्फी, पिस्ता बर्फी, पंचामृत, गोघृत, शक्कर पारा, मठरी, चटनी, मुरब्बा, आम, केला, अंगूर, सेब, आलूबुखारा, किशमिश, पकौड़े, साग, दही, चावल, कढ़ी, चीला, पापड़, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, दूधी की सब्जी, पूड़ी, टिक्की, दलिया, देसी घी, शहद, सफेद-मक्खन, ताजी क्रीम, कचौरी, रोटी, नारियल पानी, बादाम का दूध, छाछ, शिकंजी, चना, मीठे चावल, भुजिया, सुपारी, सौंफ, पान और मेवा।

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