लिव-इन रिलेशन न तो प्रतिबंधित और न ही अपराध... राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, जानें केस

Update: 2025-12-05 09:00 GMT

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट से एक बड़ा फैसला सामने आया है। दरअसल राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि दो बालिग व्यक्ति यदि अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते हैं, तो वे विवाह योग्य आयु नहीं होने के बावजूद लिव-इन रिश्ते में रह सकते हैं। अदालत ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि दो बालिग (वयस्क) व्यक्ति अपनी मर्जी से लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं, भले ही उन्होंने शादी की कानूनी उम्र हासिल न की हो, बशर्ते वे सहमति से रिश्ते में हों।

जस्टिस अनूप धंड ने याचिका पर सुनाया फैसला

जानकारी के मुताबिक जस्टिस अनूप धंड ने यह फैसला उस याचिका पर सुनाया जिसमें कोटा निवासी 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक ने सुरक्षा की मांग की थी। दोनों ने अदालत को बताया कि वे अपनी स्वेच्छा से साथ रह रहे हैं और 27 अक्तूबर 2025 को एक लिव-इन एग्रीमेंट भी किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि युवती के परिवार वाले इस रिश्ते का विरोध कर रहे हैं और उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर कोटा पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सरकारी पक्ष की ओर से लोक अभियोजक विवेक चौधरी ने दलील दी कि युवक की उम्र 21 वर्ष से कम है, जो पुरुषों के लिए कानूनी विवाह आयु है, इसलिए उसे लिव-इन संबंध की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

 लिव-इन रिलेशन न तो प्रतिबंधित है और न ही अपराध-अदालत

अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार केवल इसलिए नहीं छीना जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता विवाह योग्य उम्र के नहीं हैं। बता दें कि अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय कानून में लिव-इन रिलेशन न तो प्रतिबंधित है और न ही अपराध माना गया है।

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