मां सिद्धिदात्री: नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है मां की इस तरह से आराधना, जानें पौराणिक कथा और मंत्र
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह देवी दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप हैं। 'सिद्धिदात्री' नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: 'सिद्धि' का अर्थ है अलौकिक शक्तियां या पूर्णता, और 'दात्री' का अर्थ है 'दाता'। मां की पूजा करने से भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मांड का निर्माण हो रहा था, तो भगवान शिव ने देवी की पूजा करके सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके परिणामस्वरूप वह उनके बाएं आधे हिस्से से प्रकट हुईं। इस दिव्य मिलन ने भगवान शिव को 'अर्धनारीश्वर', शिव और शक्ति का मिश्रित रूप बना दिया।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
वाहन: सिंह, और वे कमल के फूल पर भी विराजमान रहती हैं।
भुजाएं: चार भुजाओं वाली हैं।
धारण किए गए शस्त्र:
दाहिने निचले हाथ में चक्र।
दाहिने ऊपरी हाथ में गदा।
बाएं निचले हाथ में शंख।
बाएं ऊपरी हाथ में कमल का फूल।
महत्व
अष्ट सिद्धियों की दाता: इनकी पूजा से भक्तों को अष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
सभी कामनाओं की पूर्ति: इनकी साधना करने से सभी प्रकार की लौकिक और परलौकिक इच्छाएं पूरी होती हैं।
भक्तों की रक्षा: वे अपने भक्तों को सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करती हैं।
ज्ञान और बुद्धि: उन्हें ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाली देवी भी माना जाता है।
जीवन में सफलता: इनकी पूजा से जीवन में सफलता और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पूजा का विधान
नवरात्रि के नौवें दिन शास्त्रीय विधि-विधान के साथ इनकी पूजा करने से साधक को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
पूजा के बाद हवन और कन्या भोज कराने के बाद ही कई घरों में नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है।
मां सिद्धिदात्री का मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः
अर्थ: आध्यात्मिक शक्तियों और सिद्धियों की प्रदाता देवी सिद्धिदात्री को नमस्कार।