औषधिक जड़ी-बूटी गिलोय! सेहतमंद सेहत के लिए खाएं यह फायदेमंद- गुणवान जड़ी-बूटी
नई दिल्ली। गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं। यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है।
गिलोय के पोषक तत्व
गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा गिलोय (Giloy in hindi) में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक,कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
गिलोय के कुछ प्रमुख फायदे
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए- गिलोय में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
पाचन में सुधार- गिलोय पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है, अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
बुखार कम करे- गिलोय में ज्वरनाशक गुण होते हैं, जो बुखार को कम करने में मदद करते हैं।
मधुमेह को नियंत्रित करे- गिलोय इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाकर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद- गिलोय त्वचा की समस्याओं जैसे मुंहासे, फुंसी और त्वचा के संक्रमण को ठीक करने में मदद करता है।
कान की बीमारी में फायदेमंद- गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।
टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन- गिलोय का औषधीय गुण टीबी रोग के समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं लेकिन इनको औषधि के रुप में बनाने के लिए इन सब चीजों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाने की जरूरत होती है।
गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार- हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है।
सावधानियां
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- जिन लोगों को पहले से ही निम्न रक्तचाप या ऑटोइम्यून बीमारियों की समस्या है, उन्हें भी गिलोय का सेवन सावधानी से करना चाहिए।
- गिलोय का अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ लोगों को पेट खराब या दस्त हो सकते हैं।
गिलोय का उपयोग कैसे करें
1. गिलोय का रस- 2-3 चम्मच गिलोय का रस पानी में मिलाकर खाली पेट पिएं।
2. गिलोय का काढ़ा- गिलोय की डंडी को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिएं।
3. गिलोय का चूर्ण- गिलोय के चूर्ण को शहद या पानी के साथ मिलाकर लें।
गिलोय के सेवन की मात्रा
काढ़ा – 20-30 मिली
रस – 20 मिली