सोनाक्षी सिन्हा की करियर और क्षमता को लेकर भाई कुश सिन्हा ने दिया ऐसा बयान, हो गया वायरल, जानें क्या कहा
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं। वहीं सोनाक्षी की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'निकिता रॉय' बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई। हालांकि अब इस पर उनके भाई और डायरेक्टर कुश सिन्हा ने बहन के करियर और उनकी क्षमता को लेकर खुलकर बात की। कुश सिन्हा ने कहा है कि उन्होंने हमेशा सोनाक्षी को एक अदाकारा के रूप में अलग नजरिए से देखा है।
उन्होंने कहा कि सोनाक्षी में अपार टैलेंट है, लेकिन इंडस्ट्री में कई बार उनकी असली क्षमता को सही तरीके से सामने नहीं लाया गया। भाई होने के साथ-साथ एक दर्शक के तौर पर भी उन्होंने महसूस किया कि सोनाक्षी को वो मौके नहीं मिले जिनसे उनकी पूरी रेंज सामने आती। कुश सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा है कि उन्होंने हमेशा सोनाक्षी को एक अदाकारा के रूप में अलग नजरिए से देखा है। उन्होंने याद दिलाया कि लुटेरा और अकीरा जैसी फिल्मों में सोनाक्षी ने यह साबित किया कि वो सिर्फ कमर्शियल फिल्मों की हीरोइन नहीं बल्कि एक गंभीर और परिपक्व अभिनेत्री भी हैं।
वहीं कुश ने इस दौरान आगे कहा कि फिल्मकार कई बार सितारों को उनकी सीमाओं से आगे धकेलने से हिचकिचाते हैं। इसका नुकसान कलाकारों को होता है क्योंकि उनकी असली प्रतिभा पर्दे पर पूरी तरह से सामने नहीं आ पाती। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि कलाकारों की अपनी पसंद भी बहुत मायने रखती है। कई बार कागज पर शानदार लगने वाला किरदार शूटिंग के दौरान उतना असरदार साबित नहीं होता।
हालांकि सोनाक्षी के भाई का मानना है कि इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए फिल्मों का चुनाव बेहद सोच-समझकर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार अभिनेता कुछ प्रोजेक्ट्स चुन लेते हैं जो बाद में उतने प्रभावी साबित नहीं होते। वहीं, कभी-कभी उम्मीद से कहीं ज्यादा शानदार नतीजे भी मिल जाते हैं। यही इस इंडस्ट्री की अनिश्चितता है।
सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म निकिता रॉय खुद कुश सिन्हा ने डायरेक्ट की थी और इसमें सोनाक्षी ने लीड रोल निभाया। हालांकि कुश ने इस दौरान बताया कि कुश का कहना है कि सोनाक्षी ने इस किरदार की बारीकियों को बखूबी पकड़ा और उसे पर्दे पर जीवंत बना दिया। वहीं उन्होंने आगे कहा कि इस फिल्म में सोनाक्षी का किरदार बेहद मुश्किल और उलझा हुआ था। वह एक ऐसी महिला की भूमिका निभा रही थीं जो टूटी हुई भी है, जिद्दी भी और कहीं न कहीं अपनी ही सोच में खोई हुई।