हे पार्थ, हथियार उठाओ! पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाएगी संस्कृत, जानें क्या है इसका उद्देश्य

Update: 2025-12-13 10:20 GMT

नई दिल्ली। पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने अपने पाठ्यक्रम में पहली बार औपचारिक रूप से संस्कृत भाषा की पढ़ाई शुरू की है। इस पाठ्यक्रम के तहत, छात्रों को महाभारत और भगवद गीता के संस्कृत श्लोकों को पढ़ना और समझना सिखाया जाएगा। बता दें कि इस नए पाठ्यक्रम की शुरुआत अचानक नहीं हुई। दरअसल, तीन महीने तक चली एक वीकेंड वर्कशॉप ने इसकी नींव रखी। इस वर्कशॉप में छात्रों, शोधकर्ताओं और भाषा में रुचि रखने वाले लोगों ने हिस्सा लिया।

पाकिस्तान में संस्कृत की पढ़ाई किसने शुरू की?

पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) के गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासमी और फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज में सोशियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर शाहिद रशीद ने संस्कृत पढ़ाने की शुरुआत की है। इन्होंने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पहली बार अपने देश में संस्कृत की पढ़ाई शुरू की है।

क्या है इसका उद्देश्य

इस पहल का उद्देश्य छात्रों को प्राचीन भारतीय ज्ञान और साझा सांस्कृतिक विरासत की गहरी समझ प्रदान करना है, क्योंकि पाकिस्तान में संस्कृत से जुड़ी समृद्ध विरासत मौजूद है। विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. अली उस्मान कासमी ने कहा है कि आने वाले समय में महाभारत और भगवद गीता पर भी विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे और पाकिस्तान से संस्कृत के विद्वान तैयार करने का लक्ष्य है। अगले 10 से 15 वर्षों में पाकिस्तान में ऐसे विद्वान देखने को मिल सकते हैं, जो गीता और महाभारत के विशेषज्ञ हों। यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि सांस्कृतिक संवाद के लिए भी एक बड़ा कदम होगा। यह कदम विभाजन (1947) के बाद पाकिस्तान में किसी शैक्षणिक संस्थान द्वारा संस्कृत को औपचारिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का पहला महत्वपूर्ण मामला माना जा रहा है।

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