प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केवल पराली जलाने वाले किसानों पर दोष देना गलत, CJI सूर्यकांत एक्शन प्लान के बारे में पूछा
चीफ जस्टिस ने कहा कि मामले को नियमित रूप से सुना जाएगा और हर महीने दो बार सुनवाई होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।;
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार को कहा कि प्रदूषण की वजह केवल पराली जलाना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि किसान शायद ही अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट आते हैं। इसलिए किसी को दोष दे देना आसान है। कोर्ट ने कहा कि पहले भी पराली जलाई जाती थी, लेकिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स कभी इतनी खराब नहीं होती थी। कोरोना के समय भी पराली जलाई जाती थी, लेकिन इस तरह के हालात नहीं देखे गये।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दिया निर्देश
जानकारी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने निर्देश दिया है कि रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया जाए। आखिर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के दूसरे कारणों से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है। बता दें कि कोर्ट लंबे समय से लंबित एमसी मेहता केस पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एयर पॉल्यूशन और पर्यावरण से जुड़े अन्य मुद्दे भी शामिल हैं
प्रदूषण के लिए केवल पराली जलाने वाले को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने कोर्ट में कहा कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने, वाहन, कंस्ट्रक्शन से उड़ने वाली धूल, सड़क की धूल और बायोमास जलाने से जो प्रदूषण होता है, उससे निपटने के लिए प्लान तैयार किया गया ह। इस पर सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि मैं पराली जलाने पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। इसलिए पूरी जिम्मेदारी एक पर डाल देना आसान है क्योंकि किसान तो मुश्किल से ही कोर्ट में होते हैं।
सीजेआई ने कहा - कोरोना काल में भी जली पराली लेकिन स्थिति ऐसी नहीं थी
सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि पराली बहुत पहले से जलाई जा रही है, लेकिन पहले कभी दिल्ली की हवा इतनी खराब नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी पराली जलाई गई, लेकिन तब भी आसमान नीला नजर आता था और तारे दिखाई देते थे। इसलिए हमें दूसरे फैक्टर्स पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
सीजेआई ने प्रदूषण से निपटने के लिए दिए निर्देश
सीजेआई ने निर्देश दिया कि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार दूसरे फैक्टर्स से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है, इस पर एक हफ्ते में रिपोर्ट दें। सीजेआई ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों प्लान दिखाएं जाएं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इतनी बड़ी आबादी को समायोजित करने के लिए या हर घर में कई-कई गाड़ियां होंगी, यह सोचकर कोई भी शहर इस स्तर पर विकसित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि कोर्ट को बताया जाए कि कब और कैसे प्रदूषण से निपटने के लिए उपायों को लागू किया जाएगा।
महीने में दो बार होगी सुनवाई
चीफ जस्टिस ने कहा कि मामले को नियमित रूप से सुना जाएगा और हर महीने दो बार सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से निपटने के उपायों की CAQM दोबारा समीक्षा करे। यह देखा जाए कि जो कदम उठाए जा रहे हैं, उनका कितना प्रभाव पड़ा है। सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।