पंचमुखी हनुमान कवच! जिसकी रचना भगवान गरुड़ ने की थी... जानें महत्व और लाभ
नई दिल्ली। पंचमुखी हनुमान कवच, भगवान हनुमान के पांच मुखों वाले रूप का आह्वान करने वाला एक संस्कृत स्तोत्र है, जो नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है, मानसिक शक्ति देता है और भय तथा चिंताओं को दूर करता है। यह एक पारंपरिक कवच है जिसकी रचना भगवान गरुड़ ने की थी और इसका पाठ करने से सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
कवच पाठ से पहले
ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचस्य। ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः। पञ्चमुखी श्रीहनुमान देवता। हं बीजं। हं शक्तिः। हुं कीलकम्। मम शत्रु संहारार्थे विनियोगः।।
मुख्य मंत्र
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय अग्नेयाय हनुमते नमः. इसके अलावा, ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाहा॥ और ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखाय गरुडाननाय सकलविषहराय स्वाहा॥ जैसे अन्य मंत्रों का भी पाठ किया जाता है।
कवच पाठ की विधि
- सबसे पहले स्नान करके स्वयं को पवित्र करें।
- पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा को लाल कपड़े पर स्थापित करें और दीपक जलाएं।
- पंचमुखी हनुमान जी का ध्यान करते हुए कवच का पाठ करें।
- इस कवच का पाठ तीन बार प्रतिदिन (त्रिसंध्यं) करने का विधान है।
- आप इस साधना को हर मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से कर सकते हैं।
कवच के लाभ
- यह सभी प्रकार के शत्रुओं का संहार करता है।
- यह भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाता है।
- सभी प्रकार के ग्रह दोषों के दुष्प्रभाव से बचाता है।
- जीवन में सुख, संपत्ति और समृद्धि लाता है।
- यह आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति प्रदान करता है।
पंचमुखी हनुमान जी का महत्व
पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख विभिन्न शक्तियों और दिशाओं के प्रतीक हैं, जो साधक को हर प्रकार की रक्षा और शक्ति प्रदान करते हैं। उनका पांच मुखों वाला रूप नरसिंह, गरुड़, आदिवराह, हयग्रीव और स्वयं हनुमान जी का प्रतीक है।