Pitru Pakha 2025: पितृपक्ष में पित्तरों के चढ़ाए यह फूल, खुश होंगे पूर्वज, मिलेगा आशीर्वाद

Update: 2025-09-13 02:30 GMT

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पितृपक्ष को विशेष महत्व दिया जाता है। हर साल पितृपक्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या पर समाप्त होते हैं। लगभग पंद्रह दिनों तक चलने वाले इस समय में लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। जिस दौरान सभी पितर धरती पर आते हैं और परिजनों से श्राद्ध का अन्न-जल ग्रहण करते हैं। इस दौरान पूर्वज की पूजा में फूल बी सामिल किए जाते है।

इन फूलों को करे अर्पित

बता दें कि परिजनों द्वारा श्राद्ध का अन्न-जल ग्रहण करते समय पूर्वज की पूजा में काश का फूल जरुर चढ़ाया जाता है क्योंकि इससे वह बेहद प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध में सफेद रंग के फूलों को जरुर शामिल करना चाहिए जैसे चंपा, जूही आदि, क्योंकि ये पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं। श्राद्ध में बेलपत्र, केवड़ा, कदम्ब, मौलसिरी, करवीर, भृंगराज, और लाल व काले रंग के सभी फूलों को नहीं चढ़ाना चाहिए।

इन फूलों को चढ़ाने से बचें

अशोक फूल- अशोक फूल को पितरों को अर्पित करना अशुभ माना जाता है।

केतकी फूल- केतकी के फूल भी पितरों के लिए वर्जित हैं।

पलाश के फूल- पलाश के फूल भी पितृ श्राद्ध में नहीं चढ़ाने चाहिए

क्या करें

तर्पण और पिंडदान- पितरों को जल अर्पित करके (तर्पण) और पिंड दान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

दान-पुण्य- जरूरतमंद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें।

तुलसी का उपयोग- पितरों के निमित्त भोजन दान करते समय उसमें तुलसी का पत्ता अवश्य डालें।

चींटियों और मछलियों को भोजन- चींटियों और मछलियों को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है।

क्यों इन फूलों से बचें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ फूलों का उपयोग केवल शुभ अवसरों पर किया जाता है, जबकि पितृ पक्ष का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करना होता है। इन वर्जित फूलों को अर्पित करने से पितृ दोष लग सकता है और जीवन में अशांति आ सकती है। पूर्वजों को तेज गंध पसंद नहीं है।

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