ऑपरेशन सिंदूर पर राजनाथ सिंह का बड़ा खुलासा, नौसेना ने पाकिस्तानी युद्धपोतों को तट से आगे नहीं बढ़ने दिया
उन्होंने इस ऑपरेशन को भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बताया और कहा कि यह दुनिया को संदेश है कि भारत किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है।;
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को नेवी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलताओं और भारतीय नौसेना की तत्परता का ज़ोरदार खुलासा किया। सिंह ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान नौसेना की पेशेवर क्षमता और ताकत ने पाकिस्तानी युद्धपोतों को उनके तटीय इलाकों या बंदरगाह के पास ही रहने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने इस ऑपरेशन को भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बताया और कहा कि यह दुनिया को संदेश है कि भारत किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हिन्द महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region - IOR) समकालीन भू-राजनीति का केन्द्र बन चुका है और अब यह क्षेत्र प्रतियोगिता और सहयोग दोनों का मैदान है। इसी संदर्भ में, उन्होंने बताया कि पिछले छह महीनों में नौसेना ने युद्धपोतों, पनडुब्बियों और विमानों को अभूतपूर्व पैमाने पर तैनात किया और क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखी, जिससे मित्र राष्ट्रों को राहत मिली और क्षेत्र अस्थिर करने वालों के लिए बेचैनी पैदा हुई।
सिंह ने यह भी साझा किया कि ऑपरेशन के दौरान भारतीय नौसेना ने लगभग 335 व्यापारी जहाजों को सुरक्षित मार्ग प्रदान किए, जिनमें कुल लगभग 12 लाख टन माल था जिसका व्यापार मूल्य लगभग 5.6 अरब डॉलर आंका गया — यह उपलब्धि भारत की समुद्री सुरक्षा में विश्वास बनाए रखने का प्रमाण है।
आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उपकरणों की भूमिका पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा अधिग्रहण में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में नौसेना के करीब 67% पूंजीगत अनुबंध भारतीय उद्योगों के साथ किए गए हैं और नौसेना कई स्वदेशीकरण व नवाचार परियोजनाओं (IDEKS, TDF, SPRINT, Make-in-India आदि) पर काम कर रही है — कुल मिलाकर 194 ऐसे प्रोजेक्ट जिनसे नौसेना की तकनीकी क्षमताएँ और घरेलू उद्योग मजबूत हुए हैं।
राजनाथ सिंह ने आधुनिक युद्धों को प्रौद्योगिकी और खुफिया-आधारित बताया और कहा कि समुद्री तैयारी अब केवल जहाजों तक सीमित नहीं है; यह नेटवर्क-संचालित, स्वायत्त और तकनीक-आधारित प्रणालियों पर निर्भर है। सरकार रक्षा, स्वदेशी नवाचार और अत्याधुनिक तकनीकों पर अधिक ध्यान दे रही है ताकि भविष्य की चुनौतियों के लिए नौसेना को और अधिक सक्षम बनाया जा सके।
कुल मिलाकर, रक्षा मंत्री का संदेश स्पष्ट था — ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल क्षेत्रीय प्रतिरोधक क्षमता दिखाई है, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत समुद्री सुरक्षा और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था का एक भरोसेमंद और सक्षम भागीदार बन चुका है।