अपनी ही पार्टी के सांसदों की आलोचना पर जयराम रमेश का बयान, बोले– कांग्रेस में बोलने और बोलने के बाद की भी आज़ादी
जयराम रमेश ने साफ कहा कि कांग्रेस में बोलने की आज़ादी है और सिर्फ बोलने की ही नहीं, बल्कि “फ्रीडम ऑफ स्पीच के साथ-साथ फ्रीडम आफ्टर स्पीच” भी है।;
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने अपनी ही पार्टी के कुछ सांसदों द्वारा कांग्रेस नेतृत्व और नेताओं की सार्वजनिक आलोचना किए जाने पर खुलकर प्रतिक्रिया दी है। हालांकि उन्होंने किसी सांसद या नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को पार्टी के भीतर चल रही असहमतियों और खुले विचारों की बहस से जोड़कर देखा जा रहा है। जयराम रमेश ने साफ कहा कि कांग्रेस में बोलने की आज़ादी है और सिर्फ बोलने की ही नहीं, बल्कि “फ्रीडम ऑफ स्पीच के साथ-साथ फ्रीडम आफ्टर स्पीच” भी है।
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस के कुछ जाने-माने सांसद हैं, जो समय-समय पर अपनी ही पार्टी और उसके नेताओं की आलोचना करते रहते हैं। इसके बावजूद पार्टी ऐसे बयानों को चुपचाप सह लेती है और किसी तरह की कार्रवाई या दबाव नहीं बनाती। उन्होंने इसे कांग्रेस की लोकतांत्रिक सोच का हिस्सा बताया और कहा कि यहां कड़वी बात भी कही जाए तो उसे सहने और सभी को साथ लेकर चलने की परंपरा है।
अपने बयान में जयराम रमेश ने कांग्रेस की तुलना गंगा नदी से करते हुए कहा कि कांग्रेस गंगा की तरह है, जिससे कई सहायक नदियां निकलती रहती हैं। उनका इशारा इस ओर था कि पार्टी के भीतर अलग-अलग विचारधाराएं, मत और आवाजें मौजूद हैं, लेकिन वे सभी अंततः पार्टी की मुख्यधारा से जुड़ी रहती हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में विविधता को दबाया नहीं जाता, बल्कि उसे स्वीकार किया जाता है।
कांग्रेस के उदारवादी और लोकतांत्रिक रवैये पर जोर देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि देश में यदि कोई वास्तविक लोकतांत्रिक पार्टी है तो वह कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में हर व्यक्ति को अपने विचार रखने की पूरी स्वतंत्रता है। पार्टी किसी एक विचारधारा या व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज का प्रतिबिंब है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस पार्टी को 140 साल हो चुके हैं और इतने लंबे समय तक टिके रहना इस बात का प्रमाण है कि यह पार्टी समाज की अंतरात्मा का प्रतिनिधित्व करती है।
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस इसलिए लंबे समय तक कायम रही है क्योंकि यह समय-समय पर खुद को बदले हालात के अनुरूप ढालती रही है और आंतरिक आलोचनाओं से सीखती रही है। उनके अनुसार, आलोचना से घबराने के बजाय कांग्रेस उसे सुधार के अवसर के रूप में देखती है।
इससे पहले जयराम रमेश ने केंद्र सरकार द्वारा योजनाओं और कानूनों के नाम बदले जाने को लेकर भी कड़ी नाराजगी जताई थी। मनरेगा के नाम में बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार योजनाओं और कानूनों के नाम बदलने में “मास्टर” है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पुरानी योजनाओं को नए नाम देकर पेश करने में माहिर है।
पीटीआई-भाषा से बातचीत में जयराम रमेश ने कहा कि निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत अभियान कर दिया गया और ग्रामीण एलपीजी वितरण कार्यक्रम को उज्ज्वला योजना के रूप में रीब्रांड किया गया। उन्होंने इसे “री-पैकेजिंग” और “ब्रांडिंग” की राजनीति बताया।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार पंडित जवाहरलाल नेहरू से नफरत करती है, लेकिन ऐसा लगता है कि अब महात्मा गांधी से भी दूरी बना रही है। जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के नाम में आखिर गलत क्या है, जिसे बदलकर पूज्य बापू रोजगार गारंटी योजना रखा जा रहा है। उनके इस बयान से एक बार फिर सरकार और कांग्रेस के बीच वैचारिक टकराव तेज हो गया है।