कांवड़ यात्रा को लेकर सतर्क हुई पुलिस, जगह-जगह जांच कर ढाबा संचालकों से ली जा रही ये जानकारी

पुलिस के मुताबिक, जिन छह लोगों को समन भेजा गया है, वे बाघरा के योग साधना यशवीर आश्रम के स्वामी यशवीर महाराज के सहयोगी बताए जा रहे हैं। यह वही आश्रम है जिसने कई मुस्लिम परिवारों के "घर वापसी" समारोह कराए हैं।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-07-02 18:00 GMT

कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबा मालिकों की अनुमति के बिना पहचान जांच करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बुधवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने छह लोगों को पूछताछ के लिए तलब किया है। वीडियो में कुछ लोग कथित रूप से एक ढाबे के कर्मचारियों से अभद्रता करते दिखे।

पुलिस के मुताबिक, जिन छह लोगों को समन भेजा गया है, वे बाघरा के योग साधना यशवीर आश्रम के स्वामी यशवीर महाराज के सहयोगी बताए जा रहे हैं। यह वही आश्रम है जिसने कई मुस्लिम परिवारों के "घर वापसी" समारोह कराए हैं।

पिछले साल भी यह मुद्दा तब चर्चा में आया था जब यूपी और उत्तराखंड की बीजेपी सरकारों ने कांवड़ मार्ग पर सभी भोजनालयों को मालिक और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया था। विपक्ष ने इस पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया था।

न्यू मंडी थाने के एसएचओ दिनेश चंद भगल ने बताया कि छह कार्यकर्ताओं को तीन दिन के भीतर थाने में हाज़िर होने के लिए कहा गया है। इन पर जिला प्रशासन की अनुमति के बिना भोजनालय मालिकों के दस्तावेज जांचने का आरोप है।

एसएचओ ने कहा, "वीडियो में नजर आ रहे अन्य लोगों को भी नोटिस भेजे जाएंगे। हम मामले को गंभीरता से लेकर हर कानूनी पहलू की जांच कर रहे हैं।"

पहचाने गए छह लोगों के नाम सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश हैं। ये सभी स्वामी यशवीर के आश्रम से जुड़े बताए जा रहे हैं।

इस बीच पुलिस ने बुधवार को एक अन्य मामले में ढाबा संचालक सनावर, उनके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इन पर आरोप है कि इन्होंने मंगलवार को ढाबे के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र की पिटाई की।

धर्मेंद्र ने शिकायत में कहा कि उन पर इसलिए हमला हुआ क्योंकि उन्होंने यह जानकारी दी थी कि 'हिंदू नाम' वाला ढाबा असल में मुस्लिम द्वारा चलाया जा रहा है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, रविवार को स्वामी यशवीर ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबा मालिकों की पृष्ठभूमि जांचने का अभियान शुरू किया। उनका दावा था कि यह तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

कांवड़ यात्रा हर साल सावन मास में भगवान शिव के भक्तों द्वारा गंगा से जल लाने के लिए की जाती है। इस वर्ष यात्रा 11 जुलाई से शुरू होगी।

सितंबर में यूपी सरकार ने आदेश जारी किया था कि हर भोजनालय पर मालिक और प्रबंधक का नाम और पता अनिवार्य रूप से लिखा जाए। अब उत्तराखंड सरकार ने भी लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है, जिसके बाद विवाद और गहराया है।

पूर्व सपा सांसद एस टी हसन ने इसे "आतंक का एक रूप" बताते हुए धार्मिक पहचान की जबरन जांच की निंदा की। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कार्यकर्ता कथित रूप से लोगों से उनकी धार्मिक पहचान साबित करने का दबाव डालते नजर आए।

हसन ने कहा, "ऐसा लगता है राज्य सरकार इस तरह की गतिविधियों का मौन समर्थन कर रही है। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह शर्मनाक है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।"

वहीं बीजेपी ने इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "हसन बताएं कि वे उन लोगों के साथ क्यों खड़े हैं जो अपना नाम छुपाते हैं। विपक्ष को 'एंटी-मोदी' चश्मा उतारकर असल तस्वीर देखनी चाहिए।"

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