शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय बने

अंतरिक्ष में यह यात्रा करीब 28 घंटे की रही, जिसमें चार सदस्यीय दल ने पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद स्पेस स्टेशन पर दस्तक दी। उनके साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-06-26 18:20 GMT

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और टेस्ट पायलट शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को इतिहास रचते हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में कदम रखा। वे ऐसा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। 39 वर्षीय शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले कुल 634वें यात्री बने हैं। उन्होंने ISS में प्रवेश करते ही "जय हिंद, जय भारत" कहा।

अंतरिक्ष में यह यात्रा करीब 28 घंटे की रही, जिसमें चार सदस्यीय दल ने पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद स्पेस स्टेशन पर दस्तक दी। उनके साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। सभी ने ‘ड्रैगन’ नामक यान से ISS में प्रवेश किया। इस यान को स्पेसएक्स के फाल्कन रॉकेट के ज़रिये अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था।

शुक्ला, Axiom-4 मिशन के पायलट हैं। मिशन कमांडर पैगी विटसन, पोलिश इंजीनियर स्लावोस उज़नान्स्की और हंगरी के इंजीनियर तिबोर कापू के साथ उन्होंने स्टेशन में कदम रखा।

अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु ने बताया कि वहां खड़ा रहना आसान लग रहा है, लेकिन सिर थोड़ा भारी लग रहा है, और ये सब नई स्थिति के कारण हो रहा है। उन्होंने इसे यात्रा की शुरुआत बताया और कहा कि अगले 14 दिनों में वे प्रयोग करेंगे और धरती से बातचीत करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे तिरंगा अपने साथ लेकर आए हैं और पूरे देश को साथ लेकर चल रहे हैं।

लखनऊ में शुभांशु के परिवार और स्कूल के छात्रों ने उनके इस ऐतिहासिक कदम पर खुशी जाहिर की। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में तालियों की गूंज और 'भारत माता की जय' के नारों के साथ उनके परिजनों ने जश्न मनाया।

ड्रैगन यान ने करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित ISS से जुड़ने से पहले कई तकनीकी प्रक्रियाएं पूरी कीं, जिसमें संचार और दबाव संतुलन की जांच शामिल थी। डॉकिंग के समय एक खास खिलौना हंस भी कैप्सूल में देखा गया जिसे ‘जॉय’ नाम दिया गया। यह शुक्ला के बेटे की जानवरों के प्रति रुचि का प्रतीक है और अंतरिक्ष मिशनों में शून्य गुरुत्वाकर्षण सूचक के तौर पर इस्तेमाल होने की एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है।

शुक्ला ने इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय बताया और कहा कि यह अनुभव उम्मीदों से कहीं बढ़कर रहा।

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