1 फरवरी को पेश होगा आम बजट? रविवार और गुरु रविदास जयंती को लेकर असमंजस! जानें इतिहास क्या कहता है
नई दिल्ली। केंद्र सरकार वर्ष 2026-27 के केंद्रीय बजट को लेकर तारीख तय करने की दुविधा में है। इसके पीछे सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 80 वां केंद्रीय बजट 1 फरवरी को ही पेश किया जाए जबकि उस दिन रविवार है और गुरु रविदास जयंती भी पड़ रही है। इस वजह से सरकार और संसदीय स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है। 1 फरवरी 2026 को रविवार होने के साथ-साथ गुरु रविदास जयंती भी है। दिल्ली, हरियाणा समेत कुछ उत्तर भारतीय राज्यों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है।
संसद की कार्यवाही पर औपचारिक रोक नहीं लगती
हालांकि केंद्र सरकार के लिए यह सार्वजनिक नहीं बल्कि ‘प्रतिबंधित अवकाश’ की श्रेणी में आता है, जिससे संसद की कार्यवाही पर औपचारिक रोक नहीं लगती। मिली जानकारी के अनुसार रविदास जयंती न तो केंद्र सरकार की अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी है और न ही पूरे देश में इसे एक समान रूप से मनाया जाता है। ऐसे में यदि जरूरत पड़ी तो रविवार को संसद सत्र बुलाया जा सकता है। संसदीय कार्य मंत्री किरेण रिजिजू ने भी कहा है कि इस विषय पर फैसला संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा समय पर लिया जाएगा।
मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगी निर्मला सीतारमण
वर्ष 2017 से केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष के साथ ही बजट के प्रावधानों को लागू किया जा सके। इससे पहले बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर पेश होता था। यदि बजट 1 फरवरी 2026 को पेश होता है, तो यह आजादी के बाद देश का 80वां केंद्रीय बजट होगा। इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह लगातार आठवां बजट होगा। इससे निर्मला सीतारमण मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगी।
इतिहास में मिलते हैं उदाहरण
संसद के इतिहास में ऐसे कई मौके रहे हैं जब रविवार या सार्वजनिक अवकाश के दिन भी सदनों की बैठक हुई। इससे पहले साल 2012 में संसद की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर रविवार को विशेष सत्र आयोजित किया गया था। वहीं 1957 में बुद्ध पूर्णिमा के दिन, जो अवकाश था, राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया था। साथ ही राज्य सभा के रिकॉर्ड के अनुसार, 1981 और 1986 में गुरु रविदास जयंती के कारण सदन की बैठक रद्द या स्थगित की गई थी। इससे साफ है कि सरकार ने हर बार परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया है