SIR: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-जो 65 लाख वोट हटाए गए उनका डेटा क्यों सार्वजनिक नहीं किया गया...चुनाव आयोग ने कहा-ठीक है कर देंगे

Update: 2025-08-14 12:17 GMT

नई दिल्ली। बिहार SIR को लेकर देश की राजनीति में लगातार घमासान मचा है। वहीं SIR के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि 65 लाख वोट हटाए गए हैं उन लोगों का डेटा क्यों सार्वजनिक नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक कर दीजिए। चुनाव आयोग ने कहा कि ठीक है, आपका आदेश है तो कर देंगे।

पुरुषों की साक्षरता दर 80%

जस्टिस कांत ने कहा बिहार और दूसरे राज्यों में गरीब आबादी है। यह एक सच्चाई है, ग्रामीण इलाकों में अभी समय लगेगा। द्विवेदी ने कहा कि शहरी इलाकों में मतदाताओं को पकड़ना ज्यादा मुश्किल है। वो ऐसा करना ही नहीं चाहते। आज के बिहार में पुरुषों की साक्षरता दर 80% है। महिलाओं की साक्षरता दर 65% को छू रही है। आज के युवा पहले जैसे नहीं हैं। आज तक, लगभग 5 करोड़ लोग जो 2003 की सूची में हैं। 7.24 लाख ड्राफ्ट में हैं, 65 लाख हटे हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि लेकिन यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। द्विवेदी ने कहा कि इसमें 22 लाख लोग मृत हैं।

हम 48 घंटे में करने का सुझाव देते हैं

बता दें कि चुनाव आयोग ने कहा कि ठीक है हम हर एक विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से वेबसाइट में यह जानकारी मुहैया करा देंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि हटाए गए लोगों की हम जिला स्तर पर सूची जारी करेंगे। जस्टिस बागची ने कहा कि हम बस यह जानकारी सार्वजनिक करना चाहते हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि पूनम देवी के परिवार को पता होना चाहिए कि उनका नाम इसलिए हटाया गया है, क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आप यह कब तक कर सकते हैं? जस्टिस बागची ने कहा कि हम 48 घंटे में करने का सुझाव देते हैं।

यह भविष्य के नजरिए से एक अच्छा संकेत है

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा 2003 के बिहार मतदाता सूची संशोधन में विचार किए गए दस्तावेजों के बारे में हमें बताएं। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग यह बताए कि 2003 की कवायद में कौन से दस्तावेज लिए गए थे। याचिककर्ताओं के वकील निजाम पाशा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर 1 जनवरी 2003 की तारीख चली जाती है तो सब कुछ चला जाता है। चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि मुझे दूसरे पक्ष के वकीलों की उनके योगदान के लिए सराहना करनी चाहिए। यह भविष्य के नजरिये से एक अच्छा संकेत है।

ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट 1 अगस्त को पब्लिश की गई थी

ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट 1 अगस्त को पब्लिश की गई थी और अंतिम सूची 30 सितंबर को जारी होने वाली है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया लाखों वोटर्स को वोट देने के अधिकार से वंचित कर देगी। इसको लेकर विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है। जस्टिस कांत ने कहा कि हम नहीं चाहते कि नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर निर्भर हों। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आपने सुना ही होगा कि ड्राफ्ट रोल में मृत या जीवित लोगों को लेकर गंभीर विवाद है।

आधार नंबर या अन्य जो दस्तावेज दर्ज हो

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि आपके पास ऐसे लोगों की पहचान करने का क्या तंत्र है? जिससे परिवार को पता चल सके कि हमारे सदस्य को सूची में मृतक के रूप में शामिल कर दिया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हटाए गए लोगों की सूची भी वेबसाइट डालें, ताकि लोग हकीकत से वाकिफ हो सकें। आधार नंबर या अन्य जो दस्तावेज दर्ज हो, ईपीआईसी और हटाने का कारण स्पष्ट कर दें।

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