सोमनाथ मंदिर: जहां श्रापों से मिलती है मुक्ति, ऋग्वेद, शिव पुराण, और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी है चर्चा

By :  Aryan
Update: 2025-08-04 02:30 GMT

सोमनाथ मंदिर भारत के गुजरात राज्य के पश्चिमी तट पर बसा हआ एक अत्यंत प्राचीन और पवित्र मंदिर है। ये मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह पहले नंबर पर आता है।

इस मंदिर का ऐतिहासिक धार्मिक महत्व है

इसका ऐतिहासिक धार्मिक महत्व है। सोमनाथ मंदिर अपने स्थापत्य कला के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके पुनर्निर्माण की गाथा भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। माना जाता है कि इस मंदिर को चंद्रदेव ने स्वयं ही बनवाया था।

बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पर सोमनाथ मंदिर है

सोमनाथ मंदिर को कई बार नष्ट किया गया और इसे पुनर्निर्मित किया गया। सोमनाथ मंदिर का इतिहास अत्यंत पुराना है। इसकी चर्चा ऋग्वेद, शिव पुराण, और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी मिलती है।

इसीलिए ही शिव को सोमनाथ कहा गया

ऐसा माना जाता है कि चंद्रदेव ने यह मंदिर सबसे पहले बनवाया था। उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की थी, ताकि वे अपने श्राप से मुक्त हो सकें। इसीलिए ही शिव को सोमनाथ कहा गया।

सोम का अर्थ चंद्रमा का मतलब नाथ या स्वामी कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव के सर पर चंद्रमा विराजते हैं। सोमनाथ मंदिर श्रद्धा, पुनरुत्थान और आस्था का प्रतीक है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। खासकर महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर।

चमत्कारी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध

ऐसा कहते हैं कि जो भी इस धाम में दर्शन के लिए जाते हैं, उनके सभी कष्टों का अंत हो जाता है।


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