habeas corpus याचिका से दो दिन पहले युवती की मौत, गुजरात पुलिस ने की जांच शुरू

लिव-इन पार्टनर हरेश चौधरी (23) द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक अक्षयराज माकवाना ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि डांटा डिवीजन के सहायक पुलिस अधीक्षक इस मामले की जांच कर रहे हैं।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-08-01 21:30 GMT

गुजरात के बनासकांठा जिले में एक 18 वर्षीय युवती की रहस्यमयी मौत ने सनसनी फैला दी है। यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा दायर की गई हैबियस कॉर्पस याचिका पर हाईकोर्ट में दो दिन बाद सुनवाई होनी थी।

लिव-इन पार्टनर हरेश चौधरी (23) द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक अक्षयराज माकवाना ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि डांटा डिवीजन के सहायक पुलिस अधीक्षक इस मामले की जांच कर रहे हैं।

चौधरी, जो कि थराड़ तालुका का निवासी है, ने आरोप लगाया कि लड़की के परिवारवाले उनके रिश्ते से नाराज़ थे और उसकी जबरन शादी किसी और से कराना चाहते थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि थराड़ पुलिस ने लड़की को जबरन अपने साथ ले जाकर उसके परिवार के हवाले कर दिया।

चौधरी के मुताबिक, मई महीने में उन्होंने और लड़की ने अहमदाबाद में एक लिखित ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ समझौता किया था। इसके बाद वे मध्यप्रदेश और राजस्थान घूमने चले गए थे। लेकिन 12 जून को थराड़ पुलिस के तीन अधिकारी और लड़की का एक रिश्तेदार राजस्थान के एक होटल में उन्हें ढूंढ निकाला।

पुलिस ने लड़की को उसके मामा को सौंप दिया, जबकि चौधरी को कच्छ जिले के भचाऊ में दर्ज एक पुराने प्रोहिबिशन एक्ट के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

चौधरी का दावा है कि जब लड़की को थराड़ पुलिस स्टेशन लाया गया, तो उसने अपने माता-पिता के साथ जाने से मना कर दिया था। इसके बावजूद पुलिस ने उसे धमकाकर घर भेजा और चौधरी को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गई।

जेल से रिहा होने के बाद, जून के अंत में चौधरी को इंस्टाग्राम पर लड़की के दो संदेश मिले, जो उसने 17 जून को भेजे थे। उनमें उसने अपनी जान का खतरा और जबरन शादी की आशंका जताई थी। जेल में होने की वजह से चौधरी ये मैसेज समय पर नहीं पढ़ सका।

इसके बाद उन्होंने अपने वकील के जरिए गुजरात हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की, जिसमें लड़की को अदालत में पेश करने की मांग की गई थी। लेकिन 25 जून को, सुनवाई से ठीक दो दिन पहले, उन्हें खबर मिली कि लड़की की मौत हो चुकी है।

चौधरी ने आरोप लगाया कि लड़की के परिवारवालों ने उसकी हत्या कर दी और बिना पुलिस को सूचना दिए उसका अंतिम संस्कार कर दिया। न तो पोस्टमॉर्टम कराया गया और न ही किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया।

जब 27 जून को याचिका की सुनवाई हुई, तब अदालत को मृतका का डेथ सर्टिफिकेट सौंपा गया और मामला समाप्त कर दिया गया।

चौधरी ने अपनी शिकायत मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और राज्य मानवाधिकार आयोग को भी भेजी है, जिसमें उन्होंने लड़की के पिता, मामा और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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