श्रम कानून के खिलाफ विपक्ष का सरकार पर तीखा हमला! खरगे ने कहा- ये नई संहिताएं नौकरी की सुरक्षा छीन रही हैं...
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामदल समेत तमाम विपक्षी दलों ने एक स्वर में नई चार श्रम संहिताओं को “मजदूर-विरोधी, श्रमिक-विरोधी और पूंजीपति मित्रों की पक्षधर” करार दिया। सदन में नारेबाजी, तख्तियां और जोरदार प्रदर्शन के बीच विपक्ष ने संहिताओं को वापस लेने की मांग की।
नई संहिताएं नौकरी की सुरक्षा छीन रही हैं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में लिखा कि ये नई संहिताएं नौकरी की सुरक्षा छीन रही हैं, काम के घंटे बढ़ा रही हैं, ट्रेड यूनियनों को कमजोर कर रही हैं और असंगठित व प्रवासी मजदूरों को पूरी तरह असुरक्षित छोड़ रही हैं।
1. नौकरी की सुरक्षा पर खतरा
- पहले 100 कर्मचारियों तक की फैक्ट्री को छंटनी के लिए सरकारी अनुमति लेनी पड़ती थी, अब यह सीमा बढ़ाकर 300 कर दी गई। इससे देश के 80% से ज्यादा कारखाने और इकाइयां बिना अनुमति के मनमाने ढंग से छंटनी कर सकेंगी।
- फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट (निश्चित अवधि का रोजगार) का अंधाधुंध विस्तार होने से स्थायी नौकरियां खत्म हो जाएंगी।
- ग्रेच्युटी, पेंशन जैसे लंबे लाभों से मजदूर वंचित हो जाएंगे।
2. काम के घंटे बढ़कर 12 तक हो सकते हैं
- कागज पर 8 घंटे का दिन कायम है, लेकिन राज्य सरकारों को 12 घंटे की शिफ्ट की छूट दे दी गई है।
- ओवरटाइम की सीमा भी राज्य तय करेंगे। विपक्ष का कहना है कि इससे मजदूरों की थकान, दुर्घटना और स्वास्थ्य जोखिम कई गुना बढ़ जाएगा।
3. ट्रेड यूनियन पर कुठाराघात
- हड़ताल करने से पहले 60 दिन का नोटिस और फिर 14 दिन का कूलिंग पीरियड अनिवार्य।
- 51% सदस्यता वाली एक ही यूनियन को बातचीत का अधिकार, छोटी यूनियनों को हाशिए पर।
- 50% मजदूर एक साथ छुट्टी लें तो उसे हड़ताल माना जाएगा, जिससे दमन का डर बढ़ेगा।
4. मध्यम इकाइयों में “हायर एंड फायर” को खुली छूट
- 300 से कम कर्मचारियों वाली इकाइयों में स्टैंडिंग ऑर्डर लागू नहीं होंगे।
- काम के घंटे, छुट्टी, बर्खास्तगी के नियम भी बाध्यकारी नहीं रहेंगे।
5. सुरक्षा और कल्याण व्यवस्था कमजोर
- फैक्ट्री की परिभाषा बदलकर छोटे कारखानों (20-40 कर्मचारी) को सुरक्षा कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया।
- बीड़ी मजदूर, पत्रकार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की विशेष सुरक्षा खत्म।
- फ्लोर वेज, सोशल सिक्योरिटी की सीमा अब सिर्फ नियमों में होगी, सरकार कभी भी नोटिफिकेशन से बदल सकेगी।
6. प्रवासी और असंगठित मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित
- विस्थापन भत्ता पूरी तरह खत्म, ₹18,000 मासिक आय की पुरानी सीमा बरकरार।
- आधार आधारित पंजीकरण से लाखों प्रवासी मजदूर सोशल सिक्योरिटी से बाहर हो जाएंगे।
7. अपराध को “जुर्माना देकर” वैध करने की छूट
- वेतन चोरी, सुरक्षा उल्लंघन जैसे अपराधों को पैसे देकर कंपाउंड कर लिया जाएगा। विपक्ष ने इसे “कानून तोड़ने की खरीद-फरोख्त” करार दिया।