इस प्राचीन मंदिर की भगवान परशुराम ने की थी स्थापना! ऋषियों की तपस्या से बना 'मुनिगिरी क्षेत्रम'

Update: 2025-10-31 02:30 GMT

विजयवाड़ा। दक्षिण भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने इतिहास, पौराणिक कथा और बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित है, जहां भगवान शिव स्वयंप्रभू विराजमान हैं। इस मंदिर के गर्भग्रह पर सीधी सूरज की किरणें पड़ती हैं और भक्त ऐसा अद्भुत नजारा देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। विजयनगर में रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी, जिसके बाद यह क्षेत्र मुनियों की तपस्या स्थली के कारण 'मुनिगिरी क्षेत्रम' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पास यानामालकुदुरु नामक स्थान पर स्थित है।

इस मंदिर से जुड़ी मुख्य बातें

स्थापना: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने क्षत्रिय वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए इस शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि उन्होंने इस क्षेत्र में भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी।

पौराणिक कथा: परशुराम अपने तपस्या के दौरान राक्षसों से परेशान थे। जब वे मुनिगिरी पहुंचे, तो वहां 1000 मुनि यज्ञ कर रहे थे। परशुराम ने उन मुनियों को राक्षसों से बचाया, जिसके बाद मुनियों ने भगवान शिव की पूजा की। परशुराम ने भी यहां शिवलिंग की स्थापना करके प्राण-प्रतिष्ठा की, इसलिए इस मंदिर का नाम रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर पड़ा।

नामकरण: चूंकि 1000 मुनियों ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी, इसलिए इस स्थान को पहले 'वेयिमुलकुदुरु' कहा जाता था, जिसका अर्थ है '1000 मुनियों की सभा'। बाद में, यह नाम बदलकर यानामालकुदुरु हो गया।

मुनिगिरी क्षेत्रम: माना जाता है कि परशुराम और अन्य ऋषियों की कठोर तपस्या के कारण यह स्थान 'मुनिगिरी क्षेत्रम' के रूप में जाना जाने लगा।

मंदिर की विशेषता

मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव एक स्वयंभू देवता के रूप में विराजमान हैं, जिन्हें वायु लिंग भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता, बल्कि अपनी ऐतिहासिकता के कारण भी जाना जाता है।

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