जन्मों के पापों से पानी हो मुक्ति तो आज कार्तिक पूर्णिमा पर करें दीपदान! जानें इस तिथि का क्या है धार्मिक महत्व
आज कार्तिक पूर्णिमा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन धार्मिक,आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन की बहुत सारी विशेषताएं हैं। इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है। पूर्णिमा तिथि की शाम में चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
1. धार्मिक महत्व
यह दिन भगवान विष्णु के रूप में मत्स्यावतार के अवतरण का दिन माना जाता है। इस दिन देवताओं और असुरों के बीच हुए त्रिपुरासुर वध की स्मृति में इसे देव-दीपावली भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इस वजह से वाराणसी (काशी) में इस दिन देव दीपावली का भव्य आयोजन होता है। गंगा घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं।
2. पूजा और स्नान का महत्व
इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा आदि में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे कार्तिक स्नान का अंतिम दिन भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन स्नान, दान और दीपदान करने से कई जन्मों के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. दीपदान
कार्तिक पूर्णिमा की रात में दीप जलाने की परंपरा है। मंदिरों, नदियों के तटों, घरों और गाय, तुलसी के पास दीप जलाए जाते हैं। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय और सत्य पर असत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है।
4. अन्य विशेषताएं
कई स्थानों पर गुरुनानक जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। राजस्थान, गुजरात और अन्य राज्यों में मेले और यात्रा (जैसे पुष्कर मेला) आयोजित किए जाते हैं। यह दिन दान-पुण्य, भजन-कीर्तन, और तीर्थयात्रा के लिए अत्यंत शुभ होता है।