यूपी में 2.91 करोड़ वोटर सूची से बाहर हो सकते हैं, स्थानांतरण और डुप्लीकेट नाम सबसे बड़े कारण
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 2.91 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। इनमें सबसे अधिक 1.27 करोड़ मतदाता ऐसे हैं, जो अपने पुराने पते से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं और अब वहां निवास नहीं करते।;
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची की बड़ी सफाई प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसी दौरान चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मतदाता सूची के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के तहत करीब 2.91 करोड़ वोटरों के नाम सूची से काटे जा सकते हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1.27 करोड़ ऐसे मतदाता हैं, जो अब अपने पुराने पते पर नहीं रहते और वहां से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे नाम भी पाए गए हैं जो दो बार दर्ज थे, मृतक थे या फिर अनुपस्थित मिले।
प्रदेश में फिलहाल कुल 15.44 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं। निर्वाचन विभाग के अनुसार, बड़ी संख्या में मतदाताओं द्वारा गणना प्रपत्र वापस न किए जाने के बाद जांच शुरू की गई। जांच में पता चला कि 8.22 प्रतिशत यानी 1.27 करोड़ मतदाता अब अपने पुराने पते पर नहीं मिलते। 5.59 प्रतिशत यानी 84.73 लाख मतदाता अनुपस्थित पाए गए। करीब 46 लाख मतदाता मृत घोषित हो चुके हैं, वहीं 23.70 लाख मतदाता ऐसे हैं जिनके नाम दो बार मतदाता सूची में दर्ज हैं। इसके अलावा 9.57 लाख मतदाता अन्य श्रेणी में रखे गए हैं, जिनके कागजात पूरे नहीं मिले।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध बनाने के लिए यह प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर ऐसे लोगों की पहचान हो रही है, जो विदेशों में रह रहे हैं, लेकिन अभी भी सामान्य मतदाता के रूप में सूची में दर्ज हैं। अब ऐसे लोगों को फॉर्म-6ए भरवाकर सही श्रेणी में डाला जाएगा और गलत प्रविष्टियां हटाई जाएंगी।
इसके साथ ही अब नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। जो युवा एक जनवरी 2026 को 18 वर्ष के हो जाएंगे, उन्हें फॉर्म भरकर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने का मौका मिलेगा। 2003 की सूची से वर्तमान मतदाता सूची की 76 प्रतिशत मैपिंग पूरी हो चुकी है और लक्ष्य इसे 90 प्रतिशत तक पहुंचाने का है। इससे मतदाताओं की पहचान और सही जानकारी को और मजबूत किया जा सकेगा।
चुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है, ताकि अंतिम सत्यापन पूरा किया जा सके। यह अभियान न केवल मतदाता सूची को साफ करेगा बल्कि आगामी चुनावों में पारदर्शिता और सही मतदान सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।