मीनाक्षी देवी के तीन स्तन का क्या है रहस्य, जानें क्यों देवी का नाम रखा गया मीनाक्षी
चेन्नई। मीनाक्षी देवी मंदिर पूरे भारत में विशेष माना जाता है। इस मंदिर को दुनिया के 7 अजूबों की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। मीनाक्षी देवी मंदिर तमिलनाडु के मदुरई नगर में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है, जिसे देखने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग आते हैं मीनाक्षी देवी को पार्वती का अवतार माना जाता है। मीनाक्षी देवी मंदिर 2500 साल पुराना है। बता दें कि मीनाक्षी देवी की तीन स्तनों वाली मूर्ति के पीछे एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जो उनके जन्म और भगवान शिव से विवाह से जुड़ी है।
मीनाक्षी देवी के तीन स्तनों का रहस्य
मीनाक्षी देवी (जिन्हें ताड़ातकाई के नाम से भी जाना जाता है) के तीन स्तन होने की कहानी तमिल ग्रंथ तिरुविलैयादल पुराणम और स्थानीय किंवदंतियों में मिलती है। मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्य और उनकी पत्नी कांचनमाला को कोई संतान नहीं थी। उन्होंने एक पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया, जिससे तीन साल की एक कन्या प्रकट हुई, जिसके तीन स्तन थे। राजा-रानी चिंतित हो गए। तभी एक आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि राजा इस कन्या को एक पुत्र की भांति पाले और उसे युद्धकला व शासन में निपुण बनाए। भविष्यवाणी में यह भी बताया गया कि जब वह कन्या अपने योग्य पति से मिलेगी, तो उसका तीसरा स्तन अपने आप गायब हो जाएगा।
राजा ने आकाशवाणी का पालन किया और उस कन्या को एक योद्धा राजकुमारी के रूप में पाला। वह बड़ी होकर एक बहादुर शासक बनी और उसने कई राज्यों पर विजय प्राप्त की। अपनी दिग्विजय यात्रा (दुनिया को जीतने का अभियान) के दौरान, वह कैलाश पर्वत पहुंची, जहां उनका सामना भगवान शिव से हुआ। जैसे ही मीनाक्षी की नज़र भगवान शिव पर पड़ी, भविष्यवाणी सच हो गई और उनका तीसरा स्तन तुरंत गायब हो गया। वह समझ गईं कि शिव ही उनके पति हैं।
मीनाक्षी देवी का नाम क्यों रखा गया मीनाक्षी
पौराणिक कहानी के अनुसार मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्या और उनकी पत्नी ने पुत्र पाने के लिए यज्ञ किया था। इस यज्ञ से उन्हें जो पुत्री प्राप्त हुई, उसकी आयु तीन वर्ष थी। एक सामान्य बच्चे से आयु में बड़ी जन्मीं पुत्री की एक विशेष बात यह थी कि उसकी आंखें मछली की तरह बड़ी-बड़ी और सुडौल थी। इस कारण से राजा मलयध्वज और उनकी पत्नी ने अपनी पुत्री का नाम मीनाक्षी रखा।
भक्त क्यों करते हैं घंटों इंतजार
मीनाक्षी अम्मन मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक स्थापत्य कला का चमत्कार और दक्षिण भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। भक्तगण कई कारणों से घंटों इंतजार करते हैं:
अद्वितीय कथा: देवी मीनाक्षी की अनोखी और प्रेरणादायक कहानी भक्तों को आकर्षित करती है। यह कहानी स्त्री शक्ति, योद्धा क्षमता और दिव्य प्रेम का प्रतीक है।
ऐतिहासिक महत्व: मदुरै शहर 2500 साल पुराना माना जाता है और मंदिर का इतिहास बहुत समृद्ध है।
वास्तुकला और भव्यता: मंदिर की विशालता, जटिल नक्काशीदार गोपुरम (मीनारें) और अद्भुत वास्तुकला भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
गहरी आस्था: मीनाक्षी देवी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। भक्तों की अटूट आस्था और विश्वास उन्हें लंबी कतारों में खड़े होने के लिए प्रेरित करता है, ताकि वे देवी-देवताओं का आशीर्वाद पा सकें।
चैत्रई महोत्सव: यहां हर साल होने वाला मीनाक्षी और सुंदरेश्वर (शिव) का विवाह उत्सव (थिरुकल्याणम) एक भव्य आयोजन होता है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।
इस प्रकार, मीनाक्षी देवी की मूर्ति का रहस्य और मंदिर का आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व ही भक्तों को दर्शन के लिए घंटों इंतजार करने पर विवश करता है। मंदिर के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप मीनाक्षी मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।