कहीं आपके सिर के दर्द का तो नहीं हो रहा दिल पर असर, जानें क्या है दिमाग का दिल से कनेक्शन!

Update: 2025-11-12 04:00 GMT

नई दिल्ली। दिल और दिमाग इंसान के शरीर के दो सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। हम सब जानते हैं कि दिमाग सोचने का काम करता है और दिल खून पंप करने का, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों के बीच गहरा रिश्ता है? आपका दिल और दिमाग एक-दूसरे से सीधा जुड़ा हुआ है। यदि आपका दिल कमजोर होता है, तो यह सीधे तौर पर आपके मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित करता है और कई तरह की दिक्कतें पैदा कर सकता है।

कमजोर दिल से होने वाली दिक्कतें (मानसिक और संज्ञानात्मक)

जब हृदय कुशलतापूर्वक रक्त पंप नहीं कर पाता है, तो मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति नहीं मिल पाती, जिससे ये समस्याएं हो सकती हैं:

1. संज्ञानात्मक कार्य में कमी (Cognitive Decline): मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है।

2. याददाश्त कमजोर होना: रक्त प्रवाह में कमी के कारण याददाश्त कमजोर हो सकती है और चीजों को याद रखने में मुश्किल हो सकती है।

3. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: किसी काम पर फोकस करने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है।

4. स्ट्रोक का खतरा: हृदय संबंधी समस्याएं, जैसे कि अनियमित दिल की धड़कन (एट्रियल फ़िब्रिलेशन) या धमनियों का अवरुद्ध होना, स्ट्रोक (मस्तिष्क का दौरा) के जोखिम को बढ़ाती हैं।

5. मनोभ्रंश (Dementia) का खतरा: लंबे समय तक खराब हृदय स्वास्थ्य से संवहनी मनोभ्रंश (vascular dementia) या अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ सकता है।

6. मूड और भावनात्मक समस्याएं: हृदय रोग से पीड़ित लोगों में अक्सर अवसाद (depression) और चिंता (anxiety) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं देखी जाती हैं।

7. मस्तिष्क की संरचना को नुकसान: रक्त प्रवाह में कमी से मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में सूक्ष्म क्षति (silent brain damage) या असामान्यताएं हो सकती हैं।

यह संबंध दोतरफा कैसे है?

यह रिश्ता सिर्फ एकतरफा नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति भी दिल को प्रभावित कर सकती है। तनाव और चिंता जैसे मानसिक कारक रक्तचाप (blood pressure) और हृदय गति (heart rate) को प्रभावित कर सकते हैं और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। 

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