एक ऐसा पवित्र मंदिर जहां श्रीकृष्ण ने शनि देव को कोयल रूप में दिए थे दर्शन! जानें क्या है नाम

Update: 2025-11-07 02:30 GMT

 मथुरा। कोकिलावन धाम उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कोसी कलां के पास स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर परिसर है। यह पवित्र स्थान भगवान शनि देव और उनके गुरु बरखंडी बाबा को समर्पित है, जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने शनि देव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे।

पौराणिक कथा और महत्व

किंवदंतियों के अनुसार, द्वापर युग में, शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो सभी देवता उनके दर्शन के लिए नंदगांव आए, लेकिन माता यशोदा ने शनिदेव को उनके वक्र दृष्टि के कारण बाल-कृष्ण के दर्शन करने से रोक दिया। इससे निराश होकर, शनिदेव ने नंदगांव के पास घने वन में जाकर कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया और स्वयं कोयल के मनमोहक रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए। श्रीकृष्ण ने शनिदेव से कहा कि यह वन अब से 'कोकिलावन' के नाम से जाना जाएगा और जो भक्त यहां आकर उनकी (शनिदेव की) पूजा और परिक्रमा करेगा, उस पर शनि की वक्र दृष्टि का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि उसे शनि की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

मुख्य आकर्षण

शनिदेव मंदिर: यह मंदिर कोकिलावन धाम का मुख्य मंदिर है, जहां भक्त शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रकोप से शांति पाने के लिए आते हैं।

परिक्रमा: यहां प्रत्येक शनिवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर परिसर की परिक्रमा करते हैं।

अन्य मंदिर: परिसर में श्रीकृष्ण, बांके बिहारी, हनुमान जी, और गोकुलेश्वर महादेव के भी मंदिर हैं। यह धाम ब्रज के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और भक्तों को एक शांत व आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।

कोकिलावन धाम का महत्व

शनि देव का प्रकोप कम होता है: मान्यता है कि कोकिलावन धाम में आकर शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाने और मंदिर की परिक्रमा करने से शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है।

कष्टों से मुक्ति: यहां परिक्रमा करने वाले भक्तों का मानना है कि शनिदेव के प्रकोप से राहत मिलती है।

एक साथ कृपा: कहा जाता है कि जो कोकिलावन की परिक्रमा कर शनिदेव की पूजा करता है, उसे शनिदेव के साथ-साथ भगवान कृष्ण की भी कृपा प्राप्त होती है। 

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