अमित शाह का नक्सलियों को संदेश – हथियार डालें, एक भी गोली नहीं चलेगी; संघर्षविराम प्रस्ताव ठुकराया

दिल्ली में आयोजित ‘नक्सल मुक्त भारत’ संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, हाल ही में भ्रम फैलाने के लिए एक पत्र लिखा गया, जिसमें कहा गया कि अब तक जो हुआ वह गलती थी और युद्ध विराम होना चाहिए। मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि कोई संघर्षविराम नहीं होगा।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-09-28 21:30 GMT

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सलियों के संघर्षविराम प्रस्ताव को सख्त लहजे में खारिज कर दिया। शाह ने साफ कहा कि यदि नक्सली वास्तव में आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत हथियार डाल देने चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने वालों पर सुरक्षा बल एक भी गोली नहीं चलाएंगे और उनका भव्य स्वागत किया जाएगा।

दिल्ली में आयोजित ‘नक्सल मुक्त भारत’ संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, “हाल ही में भ्रम फैलाने के लिए एक पत्र लिखा गया, जिसमें कहा गया कि अब तक जो हुआ वह गलती थी और युद्ध विराम होना चाहिए। मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि कोई संघर्षविराम नहीं होगा। यदि आप आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो हथियार डालें, संघर्षविराम की कोई आवश्यकता नहीं है। हथियार डालेंगे तो एक भी गोली नहीं चलेगी।”

पुनर्वास नीति का आश्वासन

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार के पास आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए लाभकारी पुनर्वास नीति है। आत्मसमर्पण करने वालों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

वामपंथी दलों पर हमला

अमित शाह ने नक्सलवाद को वैचारिक समर्थन देने के लिए वामपंथी दलों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि माओवादी हिंसा विकास की कमी के कारण नहीं, बल्कि “लाल आतंक” की विचारधारा के कारण पनपी। शाह ने कहा, “यह ‘लाल आतंक’ ही था, जिसने दशकों तक देश के कई हिस्सों में विकास को रोककर रखा।"

उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवाद केवल हत्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें समाज में उन लोगों तक फैली हुई हैं, जिन्होंने विचारधारा, कानूनी मदद और आर्थिक समर्थन देकर इसे जीवित रखा।

ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के बाद पेशकश

भाकपा (माओवादी) ने हाल ही में संघर्षविराम का प्रस्ताव रखा था। यह पेशकश छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट” और कई शीर्ष नक्सलियों के मारे जाने के बाद की गई थी। शाह ने इसे “भ्रम फैलाने का प्रयास” बताया।

2026 तक नक्सल मुक्त भारत का लक्ष्य

गृह मंत्री ने भरोसा जताया कि भारत 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए न सिर्फ हथियार उठाने वालों से लड़ना जरूरी है, बल्कि उन लोगों की भी पहचान करनी होगी, जो नक्सली विचारधारा को पोषित कर रहे हैं।

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