पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर को एक और झटका, कोर्ट में नहीं हो सकी पैरवी; जमानत अर्जी खारिज

प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पूर्व आईपीएस के पक्ष की ओर से कोई भी वकील पैरवी के लिए उपस्थित नहीं हो सका, जिसके चलते अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।;

Update: 2025-12-17 17:20 GMT

उत्तर प्रदेश के जबरिया सेवानिवृत्त पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। चलती ट्रेन से गिरफ्तारी के बाद जेल भेजे गए पूर्व आईपीएस को मंगलवार को एक और बड़ा झटका लगा, जब देवरिया की अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पूर्व आईपीएस के पक्ष की ओर से कोई भी वकील पैरवी के लिए उपस्थित नहीं हो सका, जिसके चलते अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

बताया जा रहा है कि अमिताभ ठाकुर की ओर से जमानत के लिए देवरिया सीजेएम न्यायालय में आवेदन दाखिल किया गया था। मंगलवार को इस अर्जी पर सुनवाई होनी थी, लेकिन पूर्व आईपीएस के अधिवक्ता की ओर से कोई प्रतिनिधित्व नहीं हो पाया। अदालत ने इस आधार पर जमानत याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अब अमिताभ ठाकुर के समर्थक और उनके कानूनी सलाहकार ऊपरी अदालत में जमानत अर्जी दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।

गौरतलब है कि अमिताभ ठाकुर को 10 दिसंबर को दिल्ली जाते समय शाहजहांपुर के पास चलती ट्रेन से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें देवरिया भेज दिया गया और न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। यह मामला लखनऊ के तालकटोरा थाने में दर्ज एक पुराने केस से जुड़ा है।

जानकारी के अनुसार, अमिताभ ठाकुर ने वर्ष 1999 में देवरिया में एसपी रहते हुए अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम औद्योगिक क्षेत्र में एक प्लॉट खरीदा था। आरोप है कि प्लॉट की रजिस्ट्री के दौरान नूतन ठाकुर की जगह नूतन देवी और अमिताभ ठाकुर की जगह अभिजात नाम दर्ज किया गया। इसी कथित अनियमितता को लेकर सितंबर 2025 में लखनऊ के तालकटोरा थाने में मामला दर्ज किया गया था। पुलिस इसी केस के आधार पर कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची थी।

इससे पहले सोमवार को भी अमिताभ ठाकुर की जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। दरअसल, सोमवार को जमानत पर सुनवाई की तारीख तय थी, लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश कुमार श्रीवास्तव के निधन के कारण अदालत में शोक प्रस्ताव पारित किया गया। इसी वजह से सुनवाई टल गई थी और अगली तारीख 16 दिसंबर तय की गई थी।

उधर, इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। बांदा में आजाद अधिकार सेना ने पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की बिना शर्त रिहाई की मांग की है। संगठन के पदाधिकारियों ने दो दिन पहले कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा था।

ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की गई है। संगठन ने उनकी जानमाल की सुरक्षा की भी मांग की है और कहा है कि पूर्व आईपीएस अधिकारी को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।

फिलहाल अमिताभ ठाकुर जेल में हैं और उनकी कानूनी लड़ाई जारी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ऊपरी अदालत में दाखिल की जाने वाली जमानत अर्जी पर क्या फैसला आता है और पूर्व आईपीएस को राहत मिल पाती है या नहीं।

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