Constitution Day:कैसे तैयार हुआ भारत का संविधान, जानें संविधान दिवस का महत्व
नई दिल्ली। 26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण तारीख दर्ज करा दी। दरअसल भारत के संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया गया। एक ऐसा दस्तावेज जिसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखी। इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को आधिकारिक रूप से घोषित किया।
यह दिन कई कारणों से खास है
26 नवंबर 1949 को, संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान के अंतिम मसौदे पर हस्ताक्षर किए और सभा ने इसे 'पारित' घोषित किया। हालांकि संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था (जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है), 26 नवंबर को इसे अपनाने की वर्षगांठ के रूप में चुना गया।
कानून दिवस
इस दिन को पहले 'कानून दिवस' (Law Day) के रूप में जाना जाता था।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर को श्रद्धांजलि
2015 में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के निर्णय को अधिसूचित किया। यह निर्णय संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा संविधान के निर्माण में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए लिया गया था। संविधान दिवस का उद्देश्य नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना और संविधान के महत्व का प्रसार करना है
संविधान की मूल भावना क्या है?
भारत के संविधान की प्रस्तावना देश को सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है। इसका उद्देश्य हर नागरिक को- न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा प्रदान करना है, ताकि देश की एकता और अखंडता मजबूत बनी रहे।
संविधान दिवस का महत्व
संविधान दिवस उन 271 सदस्यों की मेहनत, दूरदृष्टि और समर्पण को सम्मान देने का अवसर है, जिन्होंने मिलकर भारत का भविष्य गढ़ा। यह संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की मजबूत घोषणा है, जिसने सदियों से चले आ रहे भेदभाव और असमानताओं को चुनौती दी।
कैसे तैयार हुआ भारत का संविधान
भारत का संविधान बनाने में कुल 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन का समय लगा था। इस तरह से 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान पूरा बनकर तैयार हुआ। हमारे देश का संविधान पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसमें अमेरिका, आयरलैंड, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और युनाईटेड किंगडम जैसे देशों के संविधानों की सहायता ली गई। इन देशों के संविधानों से हमने नागरिकों के कर्तव्य, मौलिक अधिकार, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और चुनाव की प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण विषयों का चयन किया।