दलेर मेहंदी बर्थडे : भांगड़ा को पहुंचाया नई ऊंचाइयों तक, पढ़ें दिलेर की जेल जाने तक की संघर्ष की दिलचस्प कहानी
मुंबई। संगीत की दुनिया में हर संगीतकार अपनी छाप छोड़ने की कोशिश करता है। ऐसी एक मकबूल शख्सियत रहे दिलेर मेहंदी। पंजाबी गानों में फ्यूजन का जबरदस्त तड़का और बेहद मामूली सी लगने वाले शब्दों को धुनों में पिरोकर गीत रचना करना उनकी सबसे बड़ी खासियत रही है।
बता दें कि आज गायक का जन्मदिन है। उनकी गायकी , एनर्जी और म्यूजिक इंडस्ट्री में अनोखी शैली ने उन्होंने एक अलग मुकाम हासिल किया है।
पॉप की बेजोड़ शख्सियत
दिलेर मेहंदी ने म्यूजिक इंडस्ट्री में कई गीतों से धूम मचाई है। जिनमें 'तुनक तुनक तुन', 'हो जाएगी बल्ले बल्ले' जैसे गाने आज भी शादियों की जान है। शादी पार्टी हो या कोई भी फंक्शन यह गाने जब भी बजाते हैं तो हर किसी को नाचने पर मजबूर कर ही देते हैं।
11 साल की उम्र में घर से भागे
हर कहानी के पीछे दो पहलू होते हैं चमक दमक के पीछे दर्द की भी कहानी होती है। 11 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था और लुधियाना में तबला वादक के साथ रहने लगे। यह उनके जीवन का एक बड़ा कदम था जिसने उनके लिए संगीत की दुनिया का रास्ता खोल दिया।
भांगड़ा को पहुंचाया नई ऊंचाइयों तक
1990 के दशक में दिलेर ने भांगड़ा को नई ऊंचाई तक पहुंचाया। 1995 में उनका एल्बम 'बोलो तारा रा' सुपरहिट रहा। लेकिन असली पहचान मिली 1997 में 'तुनक तुनक तुन' से। यह गाना दुनिया घर में वायरल हुआ और आज भी डांस के लिए चुना जाता है।
डायरेक्टर ने दिलेर को कहा था 'घमंडी'
एक इंटरव्यू में बात करते हुए बताया था, उन्होंने कहा "बचपन में मेरी मां मुझे तुनक तुनक गुनगुनाते हुए सुनाती थीं। तब मैंने एक डायरेक्टर को बताया कि यह गाना मेरी मां की देन है तो उसने तुरंत कहा फिर इसमें आपका योगदान कैसे रहा? फिर उन्होंने मुझे घमंडी कह दिया था।"
प्रोफेशनल लाइफ रही उथल-पुथल से भरी हुई
साल 2003 में दिलेर पर कबूतर बाजी का आरोप लगा, जिसके चलते उन्हें जेल में कई रातें बितानी पड़ी। हालांकि बाद में वह बरी हो गए लेकिन इस घटना से उनकी छवि को काफी ठेस पहुंची फिर भी उन्होंने दोबारा बॉलीवुड में वापसी करके 'रंग दे बसंती' और 'मिर्जया' जैसे फिल्म में गाना गाकर अपना जादू बिखेर दिया।