Goverdhan Puja Special: आज पढ़ें श्रीकृष्ण और इंद्र की दिलचस्प कथा! जानें क्या है पूजा विधि...

By :  Aryan
Update: 2025-10-22 02:30 GMT

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो कि दीपावली के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस बार दिवाली 20 अक्टूबर से लेकर 21 की शाम तक चली है। क्योंकि अमावस्या तिथि में गोवर्धन पूजा नहीं होता है। इसलिए आज मतलब 22 अक्टूबर को उदया तिथि में गोवर्धन पूजा होगी। बता दें कि इसे अन्नकूट या पड़वा भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा करने की कथा से जुड़ी पूजा की जाती है।

गोवर्धन पूजा का महत्व

प्राकृतिक उपासना का प्रतीक

यह पर्व हमें प्रकृति, पर्वत, पशु, वन और कृषि के महत्व को बताता है।

कृष्ण भक्ति का उत्सव

भगवान कृष्ण ने लोगों को बताया कि देवताओं की पूजा के साथ-साथ प्रकृति और कर्म का सम्मान भी जरूरी है।

समर्पण और कृतज्ञता का पर्व

किसान अपने पशुओं, खेती और अन्नदाता प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

एक बार ब्रजवासियों ने इंद्र देव की पूजा की तैयारी की। श्रीकृष्ण ने पूछा कि वे ऐसा क्यों करते हैं। जब उन्हें बताया गया कि इंद्र को वर्षा के लिए प्रसन्न करना पड़ता है, तो श्रीकृष्ण ने समझाया कि हमें अपने कर्म, गोवंश, और गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि ये हमारी आजीविका के आधार हैं। ब्रजवासियों ने इंद्र की बजाय गोवर्धन की पूजा की, जिससे इंद्र क्रोधित हो गए और मूसलधार वर्षा शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी लोगों और पशुओं को उसके नीचे शरण दी। सात दिन तक वर्षा होती रही, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। अंत में इंद्र ने श्रीकृष्ण की शक्ति को स्वीकार कर लिया और क्षमा मांगी।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन बनाना

गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है। इसके साथ गाय, बछड़े, सर्प आदि की आकृतियां भी बनाई जाती हैं

पूजन सामग्री

पूजन सामग्री में फूल, जल, चावल, दीपक, धूप, नैवेद्य, मिठाइयां और अनेक प्रकार के पकवान रखे जाते हैं।

अन्नकूट का आयोजन

अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और उन्हें पर्वत रूपी आकृति में सजाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है।

गायों की पूजा

गोधन के रूप में गायों को स्नान कराकर सजाया जाता है और उन्हें विशेष रूप से पूजा जाता है।


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