जीएसटी दरों में कटौती से नहीं गिरेगा राजस्व, 48,000 करोड़ की कमी खपत बढ़ोतरी से होगी पूरी: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

पिछले हफ्ते जीएसटी काउंसिल ने कर संरचना में बड़े बदलाव करते हुए दो-स्तरीय दरें – 5% और 18% तय की हैं, साथ ही एक 40% का विशेष स्लैब भी रखा गया है।;

Update: 2025-09-07 19:30 GMT

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भरोसा जताया है कि जीएसटी (GST) दरों में हालिया कटौती के बाद अनुमानित 48,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की भरपाई बढ़ी हुई खपत से हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल सरकारी वित्तीय प्रबंधन प्रभावित नहीं होगा, बल्कि जीडीपी (GDP) की वृद्धि दर को भी बढ़ावा मिलेगा।

22 सितंबर से लागू होंगे नए जीएसटी दरें

पिछले हफ्ते जीएसटी काउंसिल ने कर संरचना में बड़े बदलाव करते हुए दो-स्तरीय दरें – 5% और 18% तय की हैं, साथ ही एक 40% का विशेष स्लैब भी रखा गया है। ये दरें 22 सितंबर यानी नवरात्रि से लागू होंगी।

लगभग 400 वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, जिनमें साबुन, शैंपू, किराना, कारें, ट्रैक्टर और एयर कंडीशनर शामिल हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को भी टैक्स से छूट दी गई है।

किन वस्तुओं पर कितना टैक्स?

शून्य कर: ब्रेड, दूध, पनीर जैसी आवश्यक वस्तुएं

5% स्लैब: अधिकांश खाद्य और किराना उत्पाद, इलेक्ट्रिक वाहन और छोटी कारें

18% स्लैब: फ्रिज, एसी जैसे सफेद वस्त्र (व्हाइट गुड्स)

40% स्लैब: विशेष श्रेणी की वस्तुएं

वित्तीय घाटे पर असर नहीं

सीतारमण ने कहा कि 48,000 करोड़ रुपये का अनुमान स्थिर आंकड़ा था, लेकिन खपत में उछाल के बाद राजस्व स्वतः बढ़ेगा।

उन्होंने कहा, “सितंबर 22 से खपत में आने वाली तेजी से राजस्व में पर्याप्त उछाल आएगा। इस साल ही हम इस कमी को पूरा कर लेंगे। इसलिए राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मैं 4.4% (जीडीपी का) लक्ष्य पर कायम रहूंगी।”

सरकार ने 2025–26 के लिए 15.69 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 4.4% का राजकोषीय घाटा लक्ष्य तय किया है।

जीडीपी ग्रोथ रेंज को पार करने की उम्मीद

वित्त मंत्री ने कहा कि पहली तिमाही की 7.8% जीडीपी वृद्धि और खपत में उछाल के चलते भारत की अर्थव्यवस्था 6.3–6.8% की अनुमानित वृद्धि सीमा को भी पार कर सकती है।

उन्होंने इसे “लोगों का सुधार (People’s Reform)” करार दिया और कहा कि इसका लाभ देश के हर परिवार तक पहुंचेगा।

भारत बना सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

भारत की अप्रैल-जून तिमाही में 7.8% वृद्धि दर्ज की गई, जो कृषि उत्पादन और सेवाओं (व्यापार, होटल, वित्त, रियल एस्टेट) से प्रेरित रही। यह चीन (5.2%) से कहीं अधिक है।

पिछले साल जनवरी-मार्च 2024 में सबसे ऊंची वृद्धि दर 8.4% दर्ज की गई थी।

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