नई दिल्ली। एलर्जी आज एक आम स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जो आनुवंशिक (genetic) और पर्यावरणीय (environmental) दोनों कारणों से होती है। धूल, परागकण (pollen), पालतू जानवरों के रोएं (pet dander) और कुछ खाद्य पदार्थों सहित हजारों ट्रिगर (triggers) उपलब्ध हैं। हालाँकि एलर्जी का कोई सीधा इलाज नहीं है, लेकिन बचाव और प्रबंधन के लिए कई प्रभावी तरीके उपलब्ध हैं।
पर्यावरण में बदलाव (Environmental Changes)
सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है अपने आसपास के वातावरण को नियंत्रित करना:
एलर्जेन से बचें: जिन चीज़ों से आपको एलर्जी है, उनसे दूर रहें। अगर आपको परागकणों से एलर्जी है, तो मौसम में खिड़कियां बंद रखें और एयर कंडीशनर (AC) का उपयोग करें।
सफ़ाई और नमी पर नियंत्रण:
- बिस्तर की चादरें और तकिए के कवर को गर्म पानी में नियमित रूप से धोएं।
- धूल और वैक्यूम (vacuum) करके घर को साफ रखें।
- बेसमेंट और नम कमरों में डीह्यूमिडिफ़ायर (dehumidifier) का उपयोग करें ताकि सीलन और फफूंदी (mold) न पनपे।
- फिल्टर का उपयोग करें: अपने AC या एयर प्यूरीफायर (air purifier) में HEPA फिल्टर का उपयोग करें, जो हवा से बारीक एलर्जेन कणों को हटाने में मदद करते हैं।
- पालतू जानवरों का प्रबंधन: यदि संभव हो तो पालतू जानवरों को बेडरूम से दूर रखें, या उनके संपर्क के बाद कपड़े बदलें और स्नान करें।
खाद्य और व्यक्तिगत बचाव (Food and Personal Prevention)
ट्रिगर्स को पहचानें: एक डायरी रखें जिसमें आप रिकॉर्ड करें कि किन गतिविधियों या खाद्य पदार्थों से एलर्जी के लक्षण (symptoms) शुरू होते हैं। इससे आपके विशिष्ट एलर्जेन को पहचानने में मदद मिलेगी।
खाने-पीने में सावधानी: यदि खाद्य एलर्जी है, तो खाद्य लेबल (food labels) को ध्यान से पढ़ें और उन पदार्थों से बचें जो ट्रिगर करते हैं (जैसे मूंगफली, दूध, सोया)।
सफाई और मास्क: बाहर से आने के बाद हाथ धोएँ और धूल या परागकणों वाले वातावरण में मास्क पहनें।
आयुर्वेदिक उपाय: कुछ विशेषज्ञ हल्दी (turmeric), तुलसी (tulsi) और नीम जैसी जड़ी-बूटियों को एलर्जी-रोधी गुणों (anti-allergic properties) के लिए अनुशंसित करते हैं।
चिकित्सा और विशेषज्ञ सलाह (Medical and Expert Advice)
डॉक्टर से सलाह: यदि लक्षण बने रहते हैं, तो बिना देर किए एलर्जी विशेषज्ञ (Allergist) से मिलें। स्व-दवा (self-medication) से बचें, खासकर एंटीहिस्टामाइन (antihistamines) जैसी दवाओं का बार-बार सेवन करना हानिकारक हो सकता है।
इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): WHO और कई अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी (जिसे एलर्जी शॉट्स भी कहते हैं) को एलर्जी के मूल कारण को बदलने वाला एकमात्र उपचार मानते हैं। यह एलर्जेन के प्रति शरीर की सहनशीलता (tolerance) का निर्माण करता है और अस्थमा (asthma) जैसी नई एलर्जी के विकास को रोक सकता है।
आपातकालीन योजना: गंभीर एलर्जी (एनाफिलेक्सिस/Anaphylaxis) के जोखिम वाले लोगों को हमेशा अपने साथ एपिनेफ्रीन ऑटो-इंजेक्टर (epinephrine auto-injector) रखना चाहिए और आपातकालीन कार्य योजना (emergency action plan) का पालन करना चाहिए।