माइग्रेन से हैं परेशान तो इन फलों के सेवन से पहले दें ध्यान, सेहत को हो सकता है नुकसान...

थोड़ी सावधानी रखकर इन फलों के पोषण का लाभ उठाया जा सकता है;

By :  Aryan
Update: 2025-11-22 03:30 GMT

नई दिल्ली। माइग्रेन की समस्या न्यूरोलॉजिकल है, जो कि डाइट और वातावरण के कारणों से प्रभावित होती है। लेकिन खास बात यह है कि जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या रहती है, उनके लिए केला और एवोकाडो परेशानी खड़ी कर सकते हैं। दोनों ही फलों में जरूरी विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और हेल्दी फैट भरपूर मात्रा में होते हैं, लेकिन इनमें मौजूद कुछ प्राकृतिक तत्व संवेदनशील लोगों में माइग्रेन की प्रक्रिया को सक्रिय कर सकते हैं।

केले में टायरामिन अधिक होता है

 केले में टायरामिन अधिक होता है, जबकि एवोकाडो में मौजूद कुछ फेनोलिक कंपाउंड दिमाग के केमिकल बैलेंस को प्रभावित कर सकते हैं।  इसलिए जिन लोगों को बार-बार माइग्रेन होता है, उनके लिए यह समझना जरूरी है कि दोनों फल दिमाग की केमिकल गतिविधियों पर कैसे असर डालते हैं। थोड़ी सावधानी रखकर इन फलों के पोषण का लाभ उठाया जा सकता है। 

केला ऊर्जा का स्रोत है

केला पोटैशियम, विटामिन B6, मैग्नीशियम और नेचुरल शर्करा का अच्छा सोर्स है, जो शरीर को स्थिर ऊर्जा देते हैं। पोटैशियम ब्लड प्रेशर और शरीर में तरल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जबकि विटामिन B6 दिमाग और मेटाबॉलिज़्म के लिए जरूरी है। केले में मौजूद मैग्नीशियम मांसपेशियों को रिलैक्स करने और नसों की गतिविधि को सही करता है।

पाचन में होती है आसानी

केला पचने में भी आसान होता है, इसलिए बीमारी या थकान के बाद इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति के लिए यह एक भरोसेमंद विकल्प है. दूसरी ओर एवोकाडो में हेल्दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट, फाइबर, पोटैशियम, फोलेट और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर पाए जाते हैं। ये सभी तत्व दिल, दिमाग और ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए फायदेमंद हैं। एवोकाडो में विटामिन E और ल्यूटिन  पाया जाता है, जो कि स्किन और इंफ्लेमेशन कंट्रोल में मदद करते हैं। इ

 केला और एवोकाडो माइग्रेन को करते हैं प्रभावित

दरअसल दोनों ही फलों में एक प्राकृतिक अमीनो एसिड बाय-प्रोडक्ट होता है जिसका नाम टायरामिन है। यह कंपाउंड शरीर में प्रोटीन टूटने पर बनता है। टायरामिन ब्लड सेल्स के फैलाव और न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज को प्रभावित करता है, जो माइग्रेन को बढ़ावा देता है। 

बचाव के तरीके

अधिक पके फल न खाएं, क्योंकि पकने के साथ टायरामिन बढ़ जाता है।

ध्यान रखें कब क्या खाने से सिरदर्द बढ़ता है।

खाने में फलों की मात्रा नियंत्रित रखें। 

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