Israel- Iran War: अराक हेवी वॉटर रिएक्टर पर इजराइल का हमला दिखा रहा है परमाणु युद्ध का ट्रेलर! जानें क्या है वॉटर रिएक्टर

इजराइली रक्षा बलों (IDF) ने कुछ घंटे पहले अराक और आसपास के खोंडब शहर के नागरिकों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी जारी की थी।;

Update: 2025-06-19 09:58 GMT

नई दिल्ली। इजराइल और ईरान का तनाव धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है। दोनों के बीच जारी युद्ध अपने सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है। और अब इजराइली सेना ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीधे निशाने पर ले लिया है। जानकारी के मुताबिक, इजराइल ने ईरान के अराक स्थित हेवी वॉटर रिएक्टर पर हमला किया है। इस हमले से साफ हो गया है कि इजराइल अब ईरान के रणनीतिक और संवेदनशील ठिकानों पर सीधा वार कर रहा है। जिससे ईरान के अंतराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ सकता है।

अराक रिएक्टर ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा

बता दें कि अराक रिएक्टर को ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यह फैसिलिटी न केवल परमाणु अनुसंधान से जुड़ी है बल्कि यहां हथियारों के निर्माण से जुड़े कार्यक्रम भी चलते हैं। इजराइली रक्षा बलों (IDF) ने कुछ घंटे पहले अराक और आसपास के खोंडब शहर के नागरिकों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी जारी की थी। खोंडब शहर, अराक से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां IR-40 हेवी वॉटर रिएक्टर मौजूद है। यह भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम का अहम हिस्सा है और अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसियों की निगरानी में आता है। जिसके बाद इजराइल ने यहां भी संभावित हमले की चेतावनी दी है।

हमले से हुए नुकसान की पुष्टि नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल अराक रिएक्टर पर हमले से हुए नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह हमला ईरान के परमाणु क्षमता को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है। इस युद्ध में अब तक इजराइल के 24 नागरिकों की मौत हो चुकी है। जबकि वॉशिंगटन स्थित एक मानवाधिकार संगठन का दावा है कि ईरान में अब तक 639 लोगों की जान गई है और 1329 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

तेहरान से 250 किमी है अराक

अराक हेवी वाटर रिएक्टर तेहरान से 250 किलोमीटर (155 मील) दक्षिण-पश्चिम में है। यह कथित तौर पर परमाणु रिएक्टरों को ठंडा करने में मदद करता है और प्लूटोनियम भी बनाता है। इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में किया जा सकता है। इजरायल का दावा है कि इससे ईरान को यूरेनियम के अलावा परमाणु बम बनाने का एक और रास्ता मिल जाएगा।

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