'अपना दर्द कहां ले जाएं हमें बता दो मोदी जी, किसको अपना जख्म दिखाएं हमें बता दो मोदी जी...'

चिरंजीव विहार में काव्यलोक की सरस काव्य गोष्ठी मेंं डेढ़ दर्जन कवियों ने अपनी कविताओं से किया भाव विभोर;

Update: 2025-05-19 12:32 GMT

गाजियाबाद। महानगर की प्रमुख साहित्यिक संस्था काव्यलोक की चिरंजीव विहार में आयोजित सरस काव्य गोष्ठी में डेढ़ दर्जन कवियों ने अपनी कविताओं से सभी को भाव विभोर कर दिया। नई कार्यकारिणी के गठन के बाद काव्यलोक का यह पहला कार्यक्रम था। इसकी अध्यक्षता काव्यलोक की पूर्व अध्यक्ष सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. रमा सिंह ने की। जबकि संचालन की कमान सुपरिचित कवयित्री डॉ. श्वेता त्यागी ने संभाली।

मशहूर शायल काव्यलोक के अध्यक्ष दीक्षित दनकौरी, गोविन्द गुलशन, नगीना बिजनौर से पधारे अनिल गुप्ता ‘बंधु’ मंचासीन रहे। राजीव सिंघल, डॉ. चेतन आनंद, दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, शैलेश अग्रवाल, बीएल बत्रा अमित्र, सुरेंद्र शर्मा, डॉ. पूनम माटिया, डॉ. सुधीर त्यागी, सोनम यादव, गार्गी कौशिक, मोनिका मासूम, सांत्वना सिंह शुक्ला आदि का मनोरम काव्य पाठ रहा। डॉ श्वेता त्यागी ने मां शारदा वंदना से गोष्ठी की शुरुआत की। सुविख्यात कवि डॉ. चेतन आनंद के गीत, ग़ज़ल व मुक्तकों ने दिल को छू लिया। उन्होंने सुनाया-‘अपने अंदाज निराले रखना, और तेवर भी संभाले रखना, लोग देते हैं अंधेरे हर पल, अपनी आंखों में उजाले रखना।’ सुप्रसिद्ध शायरा डॉ. पूनम माटिया ने कहा-जिसने होठों पर लगा रखी है सांकल चुप की, कैसे मालूम करें उससे हकीकत क्या है। मोनिका मासूम को पहली बार सुना और बहुत अच्छा लगा। उनका कहना था-मसअले लिख रही हूं कागज पर, वसवसे लिख रही हूं कागज पर, जिसको किस्मत में लिख नहीं पाई, मैं उसे लिख रही हूं कागज पर।

खतरे में आदमी है बचाने की बात कर

संस्था के संरक्षक राजीव सिंघल ने अनेक गजलों से खूब समां बांधा। उन्होंने कहा-वो मुझसे जाने क्या-क्या चाहता है, मुझे फिर आजमाना चाहता है, मेरी आवारगी की जिंदगी में, वो फिर से आना जाना चाहता है। अनिल बंधु का कहना था-मन में तो कायरता रखते पर स्वयं को समझे पूरा वीर, निर्दोषों निहत्थां को मारते स्वयं को कहते धर्म का वीर। शायर गोविंद गुलशन ने कहा-दिल है उसी के पास, हैं सांसें उसी के पास, देखा उसे तो रह गईं आंखें उसी के पास। दीक्षित दनकौरी ने सबको अपने अनुभव बताएं और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने इमहतरीन गजलों से नवाजा। उन्होंने कहा-पीने की बात कर न पिलाने की बात कर, बहके हुओं को राह दिखाने की बात कर, हुस्नो शबाब की तो बहुत बात हो चुकी, खतरे में आदमी है बचाने की बात कर।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. रमा सिंह की रचनाओं को खूब दाद मिली। उनके अनुसार-अपना दर्द कहां ले जाएं हमें बता दो मोदी जी, किसको अपना जख्म दिखाएं हमें बता दो मोदी जी, अपने घर में नहीं सुरक्षित प्रश्न यही दुश्वार हुआ, संविधान संशोधन करके हमें बता दो मोदी जी।

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