राष्ट्रपति मुर्मू ने उठाए सुप्रीम कोर्ट पर सवाल, कहा क्या सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है विधेयक की समयसीमा ... जानें SC से पूछे कितने सवाल

क्या संवैधानिक शक्तियों के प्रयोग और राष्ट्रपति-राज्यपाल के आदेशों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत किसी भी तरह से प्रतिस्थापित किया जा सकता है?;

By :  Aryan
Update: 2025-05-15 05:59 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से जुड़े 14 सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने एक सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला दिया था। एससी ने तमिलनाडु के राज्यपाल मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चितकाल तक के लिए नहीं रोक सकते है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सवाल किया है।

क्या है पूरा मामला मामला

बता दें कि तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल के बीच चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए राज्यापाल रवि एन को तुरंत राज्य सरकार के विधेयकों पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया था। जस्टिस जेबी पारदीवाल और आर महादेवन की पीठ ने अपने फैसले में टिप्पणी की थी कि राज्यपाल को किसी भी विधेयक पर तीन माह के भीतर ही फैसला लेना होगा। इसी समयसीमा के भीतर राज्यपाल को या तो विधेयक को स्वीकृत करना होगा या फिर उसे पुनर्विचार के लिए वापस करना होगा। अगर दोबारा से से राज्य सरकार विधेयक पारित करके लाती है तो उसे मंजूरी देनी ही होगी। इसी तरह का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को दिया था। इसी को लेकर देश की सियासत में बवाल मचा हुआ है।

क्या है राष्ट्रपति के 14 सवाल

1. जब राज्यपाल को भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है, तो उनके सामने संवैधानिक विकल्प क्या हैं?

2. क्या राज्यपाल भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत किसी विधेयक को प्रस्तुत किए जाने पर अपने पास उपलब्ध सभी विकल्पों का प्रयोग करते समय मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह से बाध्य है?

3. क्या राज्यपाल द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?

4. क्या भारत के संविधान का अनुच्छेद 361 भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के कार्यों के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है?

5. संवैधानिक रूप से निर्धारित समय सीमा और राज्यपाल द्वारा शक्तियों के प्रयोग के तरीके के अभाव में, क्या राज्यपाल द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत सभी शक्तियों के प्रयोग के लिए न्यायिक आदेशों के माध्यम से समयसीमाएं लगाई जा सकती हैं और प्रयोग के तरीके को निर्धारित किया जा सकता है?

6. क्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?

7. संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा और राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों के प्रयोग के तरीके के अभाव में, क्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति द्वारा विवेक के प्रयोग के लिए न्यायिक आदेशों के माध्यम से समय-सीमाएँ लगाई जा सकती हैं और प्रयोग के तरीके को निर्धारित किया जा सकता है?

8. राष्ट्रपति की शक्तियों को नियंत्रित करने वाली संवैधानिक योजना के प्रकाश में, क्या राष्ट्रपति को भारत के संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत संदर्भ के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय की सलाह लेने और राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की सहमति के लिए विधेयक को सुरक्षित रखने या अन्यथा सर्वोच्च न्यायालय की राय लेने की आवश्यकता है?

9. क्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 और अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राज्यपाल और राष्ट्रपति के निर्णय, कानून के लागू होने से पहले के चरण में न्यायोचित हैं? क्या न्यायालयों के लिए किसी विधेयक के कानून बनने से पहले उसकी विषय-वस्तु पर न्यायिक निर्णय लेना स्वीकार्य है?

10. क्या संवैधानिक शक्तियों के प्रयोग और राष्ट्रपति/राज्यपाल के आदेशों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत किसी भी तरह से प्रतिस्थापित किया जा सकता है?

11. क्या राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल की सहमति के बिना लागू कानून है?

12. भारत के संविधान के अनुच्छेद 145(3) के प्रावधान के मद्देनजर, क्या इस माननीय न्यायालय की किसी भी पीठ के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि वह पहले यह तय करे कि उसके समक्ष कार्यवाही में शामिल प्रश्न ऐसी प्रकृति का है जिसमें संविधान की व्याख्या के रूप में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं और इसे कम से कम पांच न्यायाधीशों की पीठ को संदर्भित करे?

13. क्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां प्रक्रियात्मक कानून के मामलों तक सीमित हैं या भारत के संविधान का अनुच्छेद 142 ऐसे निर्देश जारी करने/आदेश पारित करने तक विस्तारित है जो संविधान या लागू कानून के मौजूदा मूल या प्रक्रियात्मक प्रावधानों के विपरीत या असंगत हैं?

14. क्या संविधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत मुकदमे के माध्यम से छोड़कर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विवादों को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी अन्य अधिकार क्षेत्र को रोकता है?

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