Sawan Special: भारत के इस मंदिर में एक साथ विराजमान है त्रिदेव, जानिए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

Update: 2025-07-17 02:30 GMT

नई दिल्ली। सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव प्रमुख स्थानों के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि हिन्दू धर्म के अनुसार चातुर्मास के आरंभ होते ही जगत के करताधरता भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में इन चार महीनों के लिए भगवान शिव सृष्टि के पालनहार होते हैं। यह चातुर्मास सावन के पवित्र महिने से शुरू होता है। ऐसे में इन दिनों में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। इनमें सबसे खास है त्र्यंबकेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग मंदिर है, जहां भगवान शिव त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के रूप में विराजते हैं। यह मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

पौराणिक किवदंतियों के अनुसार महर्षि गौतम और उनकी पत्नी ब्रह्मगिरी पर्वत पर एक आश्रम में निवास करते थे। लेकिन आश्रम के कई ऐसे ऋषि-मुनि थे जो महर्षि गौतम के प्रति ईर्ष्या का भाव रखते थे और उन्हें नीचा दिखाने की हर समय कोशिश करते थे। ईर्ष्यालु ऋषियों ने महर्षि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने की योजना बनाई और उनपर गौहत्या का आरोप लगाया। इस पाप से मुक्ति के लिए गौतम ऋषि ने मां गंगा को धरती पर लाने का विचार किया और एक शिवलिंग की स्थापना कर तपस्या में लीन हो गए। गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए।

भगवान शिव ने गौतम ऋषि से वर मांगने के लिए कहा, तब महर्षि जी ने देवी गंगा को इस स्थान पर प्रकट होने का वरदान मांगा। लेकिन इसपर मां गंगा ने यह शर्त रखी की यदि भगवान शिव इस स्थान पर रहेंगे, तभी वह यहां रहेंगी। इस शर्त को मानते हुए भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया और वह यहीं पर बस गए। फिर गंगा नदी गोदावरी के रूप में बहने लगीं।

यहां बसते हैं त्रिदेव

त्र्यंबकेश्वर मंदिर केवल महादेव ही नहीं बल्कि ब्रह्मा, विष्णु भी विराजमान है। मंदिर के अंदर तीन छोटे छोटे शिवलिंग जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से पूजा जाता है। साथ ही त्रिदेवों के मुखोटे के रूप में रत्नों से जड़ा हुआ मुकुट भी स्थित है। जिसका दर्शन भक्त केवल सोमवार को ही कर सकते हैं। वहीं, मंदिर के पास स्थित तीन पर्वत है। जिसमें पहला ब्रह्मगिरी पर्वत जो भगवान शिव का रूप है, दूसरा नीलगिरी पर्वत जहां दत्तात्रेय गुरु और नीलाम्बिका देवी का मंदिर है और तीसरे में गंगा द्वार जहां देवी गोदावरी यानी गंगा का मंदिर है।

त्र्यंबकेश्वर मंदिर की विशेषताएं

- त्र्यंबकेश्वर मंदिर में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना जाता है।

- यह मंदिर मराठा वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और जटिल नक्काशी से सजा हुआ है।

- यहां कुशावर्त कुंड भी है, जो धार्मिक महत्व रखता है।

- त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास तीन पर्वत हैं: ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार।

त्र्यंबकेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व

- यह मंदिर पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

- यहां दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन कुंभ मेले के दौरान विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

- मान्यता है कि यहां दर्शन करने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।

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