Sawan Special: सावन में शराब और नॉनवेज से दूर रहने की सलाह क्यों दी जाती है, जानें इसके पीछे क्या कहता विज्ञान
सावन का महीना बस कुछ दिन में शुरू होने वाला है। वहीं सावन में शराब और नॉनवेज से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसके पीछे कई लोग धार्मिक तर्क देते हैं। वहीं विज्ञान भी यह मानता है कि मानसून यानी भोलेनाथ को समर्पित सावन महीने में इन दोनों चीजों से दूरी जरूरी है। विज्ञान में कई ऐसे तर्क दिए गए हैं जो यह पुष्टि करते हैं कि सावन में शराब और नॉनवेज से दूरी क्यों जरूरी है। सावन में ऐसा करने के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक कारण बताए गए हैं।
सावन में फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ाता है
सावन यानी बारिश का मौसम। यह ऐसा मौसम है, जो नमी यानी उमस को बढ़ाता है। ऐसे मौसम में संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। नतीजा, मांस में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं। यह जल्दी सड़ता है और दूषित होने का खतरा रहता है। फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ाता है।
गिरती इम्युनिटी बढ़ाती है संक्रमण का खतरा
बारिश का मौसम संक्रामक बीमारियों के लिए भी जाना जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता कहती हैं, बारिश के मौसम में शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत यानी इम्युनिटी कम हो जाती है। संक्रमक बीमारियां इंसान ही नहीं जानवरों को भी शिकार बनाती है। यही वजह है कि इस मौसम में नॉन-वेज को खाना कई बीमारियों को न्योता दे सकता है। इसलिए इन्हें छोड़ने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में मानसून को हल्का और शाकाहारी भोजन का खाने का समय बताया गया है।
उमस के मौसम में शरीर से पानी निचोड़ती है शराब
गर्मी के मौसम में ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि पसीना निकलता है। इसके बाद शुरू होने वाला बारिश का मौसम और भी ज्यादा शरीर से पानी निचोड़ने का काम करता है। उमस अधिक पसीना निकलने की वजह बनती है। नतीजा, शरीर पहले से ज्यादा पानी की कमी से जूझता है। ऐसे में शराब शरीर में गर्मी पैदा करती है और डिहाइड्रेशन की वजह बनती है। ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव भी लाती है।
मानसून में शराब से दूरी दुर्घनाओं का खतरा घटाती है
बारिश में शराब दुर्घटनाओं को बढ़ाने का काम करती है और शराब रिस्क में इजाफा करने का काम करती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की रिपोर्ट के अनुसार, शराब सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट कहती है, शराब पीने के बाद होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ. इसका सीधा असर उन लोगों पर भी हुआ जिन्होंने शराब नहीं थी लेकिन शराब पीने वाले वाहन चालक की गलती का शिकार बने।
नॉनवेज आसानी से नहीं पचता
बारिश का महीना मेटाबॉलिज्म यानी पाचन शक्ति को कमजोर करता है। नॉनवेज फूड को तामसी भोजन माना जाता है जो आसानी से नहीं पचता। नतीजा, शरीर को इसे पचाने के लिए अधिक मेहनत पड़ती है। पाचन के लिए शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ने पर गैस, अपच, एसिडिटी और भारीपन महसूस हो सकता है। पहले से कमजोर हो चुका इम्यून सिस्टम दिक्कतें बढ़ा सकता है।
ब्रीडिंग का महीना और उल्टी-दस्त का खतरा
मानसून का मौसम मछलियों की ब्रीडिंग का मौसम होता है। कई राज्यों में इस दौरान सरकारें मछलियों को न पकड़ने के निर्देश जारी करती हैं। विशेषज्ञ भी इस मौसम में मछली न खाने की सलाह देते हैं। इसकी कई वजह हैं। पहला, बारिश के मौसम में जल प्रदूषण बढ़ता है। पानी में बैक्टीरिया की संख्या में इजाफा होता है। नतीजा, मछलियों के जरिए इंसान में संक्रमण फैलने और उल्टी-दस्त होने का खतरा रहता है।
यह मौसम मछलियों के प्रजनन का होता है। इस दौरान इनमें कई तरह के बदलाव होते हैं। ये बदलाव मछलियों की गुणवत्ता पर असर डालते हैं। मछलियां परजीवियों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं, जो बाद में खाने पर मनुष्यों में फैल सकती हैं।