दिल्ली के 14 इलाकों में AQI 400 के पार, स्मॉग की गिरफ्त में राजधानी; जानिए प्रदूषण से राहत क्यों नहीं मिल रही

दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 377 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले दिन की तुलना में थोड़ा बेहतर है, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं।;

Update: 2025-12-21 21:30 GMT

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर हवा बेहद जहरीली हो गई है। प्रदूषण से राहत की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को रविवार को भी निराशा हाथ लगी। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 377 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले दिन की तुलना में थोड़ा बेहतर है, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं। राजधानी के 14 इलाके ऐसे रहे, जहां AQI 400 के पार पहुंच गया और प्रदूषण ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया।

वजीरपुर, बवाना, आनंद विहार और चांदनी चौक जैसे घनी आबादी और यातायात वाले इलाकों में हालात सबसे ज्यादा खराब देखे गए। इन इलाकों में लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा मौसमीय परिस्थितियां प्रदूषण को और बढ़ावा दे रही हैं।

India Meteorological Department (आईएमडी) के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे चार प्रमुख कारण हैं। पहला कारण हवा की रफ्तार बेहद धीमी होना है। आमतौर पर तेज हवाएं प्रदूषण के कणों को बिखेरने में मदद करती हैं, लेकिन फिलहाल हवा की गति कम होने से ये कण वातावरण में जमे हुए हैं।

दूसरा बड़ा कारण कोहरे और प्रदूषण का मिलकर स्मॉग बनना है। सर्दियों में सुबह और शाम के समय कोहरा छाने से प्रदूषण और ज्यादा खतरनाक हो जाता है। स्मॉग की मोटी परत दृश्यता कम करने के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रही है।

तीसरा कारण पश्चिमी विक्षोभ का कमजोर रहना है। आमतौर पर सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश होती है, जिससे हवा में मौजूद धूल और प्रदूषण के कण धुल जाते हैं। इस बार अब तक कोई मजबूत पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया है, जिससे बारिश नहीं हो रही और प्रदूषण जस का तस बना हुआ है।

चौथा कारण कड़ाके की ठंड है। सर्द मौसम में हवा भारी हो जाती है, जिससे प्रदूषण के कण ऊपर उठने के बजाय जमीन के पास ही ठहर जाते हैं। इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर में कूड़ा और लकड़ियां जलाने से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण को और बढ़ा रहा है।

हालांकि मानसून के दौरान स्थिति बेहतर थी। मई से सितंबर के बीच पश्चिमी विक्षोभ और अच्छी मानसूनी बारिश की वजह से दिल्ली की हवा अपेक्षाकृत साफ रही। लेकिन मानसून के विदा होते ही 14 अक्टूबर से वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती चली गई। दुखद बात यह है कि तब से अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब AQI 200 से नीचे गया हो।

आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 का औसत स्तर 181.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 का स्तर 296.4 दर्ज किया गया, जो तय मानकों से करीब तीन गुना अधिक है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि लंबे समय तक ऐसी हवा में सांस लेना गंभीर बीमारियों को न्योता दे सकता है।

फिलहाल राहत के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 23 दिसंबर से हवा की रफ्तार बढ़ सकती है, जिससे प्रदूषण में थोड़ी कमी आने की उम्मीद है। तब तक दिल्लीवासियों को जहरीली हवा में ही सांस लेनी पड़ेगी।

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