Sita Haran: रावण ने साधु भेष में ही माता सीता का अपहरण क्यों किया ? जानें इसके पीछे का रहस्य

Update: 2025-09-16 02:30 GMT

नई दिल्ली। रामायण सबसे बड़ा महाकाव्य है, से ना सिर्फ धर्म, नीति और जीवन दर्शन का मार्गदर्शक ग्रंथ है। ये हर प्रसंग गहन अर्थ और शिक्षा को दर्शाता है। सीता हरण का प्रसंग रामायण का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसने आगे चलकर राम-रावण युद्ध की नींव रखी। लेकिन सवाल उठता है कि रावण ने सीता माता का अपहरण करने के लिए साधु का वेश ही क्यों धरा था?

साधु का वेश लेने के मुख्य कारण

1. छल और विश्वास का लाभ उठाना- साधु को भिक्षा देना धर्म का नियम था। रावण ने इसी आस्था का लाभ उठाया और एक भिक्षुक का वेश धारण करके सीता के पास पहुंचा, ताकि वह सीता को उसकी सुरक्षा रेखा (लक्ष्मण रेखा) पार करने के लिए विवश कर सके, जो किसी भी अधर्मी को सीता तक पहुंचने से रोकती थी।

2. आवाहन और सुरक्षा को भेदना- जब श्री राम हिरण बने मारीच को मारने गए, तो उन्होंने लक्ष्मण को सीता के पास छोड़ने और उनकी रक्षा करने का आदेश दिया। लक्ष्मण ने सीता की रक्षा के लिए एक जादुई रेखा खींची थी। रावण ने इसी रेखा को पार करने के लिए साधु का वेश धरा, क्योंकि वह सीधे तौर पर रेखा को पार नहीं कर सकता था।

3. बहन सूर्पणखा का बदला- सीता हरण का एक मुख्य कारण रावण की बहन सूर्पणखा का अपमान था, जिसकी नाक लक्ष्मण जी ने काट दी थी। सूर्पणखा की शिकायत पर रावण ने बदला लेने के लिए सीता को हरने का निश्चय किया और इसके लिए साधु का वेश अपनाया।

4. धर्म के विरुद्ध आचरण- यह रावण के अहंकार और अधार्मिक स्वभाव का प्रतीक था कि वह धर्म और विश्वास को छल और विनाश के लिए प्रयोग करता है। धर्म का प्रतीक साधु का वेश धारण करना, उसके पाखंड को दर्शाता है।

5. मर्यादा का पालन- रावण एक महान ज्ञानी था और कुछ मर्यादाओं का पालन करता था। वह जानता था कि एक सामान्य रूप में वह सीता का सीधे-सीधे अपहरण नहीं कर सकता। इसलिए, साधु का वेश धारण करके उसने एक तरह से छल का सहारा लिया, लेकिन एक राक्षस के रूप में सीधे बल प्रयोग करने से बचा।

6. धर्मशास्त्र और संकेत- रामायण यह संदेश देती है कि अधर्म चाहे कितनी भी चतुराई से धर्म का आवरण ओढ़ ले, अंततः उसका नाश होता है। रावण ने साधु वेश में छल किया, लेकिन यही छल उसके विनाश का कारण बना।

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